झारखंड के स्कूली शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के नतिनी के स्कूल में फीस नहीं भरने पर उसे ऑनलाइन क्लास करने से रोक दिया गया. जब शिक्षा मंत्री को मालूम हुआ कि दिल्ली पब्लिक स्कूल चास ने उनकी नतिनी को ऑनलाइन क्लास करने से रोक दिया है, तो मंत्री भागकर सीधे स्कूल पहुंचे. काउंटर पर पहुंचे और लाइन लगाकर फीस भरी.
दरअसल, मंत्री श्री महतो की नतिनी रिया डीपीएस चास में चौथी कक्षा में पढ़ती है. अप्रैल से सितंबर तक की उसकी फीस नहीं भरी गयी थी. स्कूल ने ऑनलाइन क्लास से उसका नाम काट दिया. उसे क्लास में शामिल होने से मना कर दिया गया. मंत्री जगरनाथ महतो की बेटी और रिया कुमारी की मां ने उन्हें इसकी जानकारी दी. इसके बाद शिक्षा मंत्री सीधे स्कूल पहुंचे और बच्ची का फीस भरा.
मंत्री को स्कूल में देखर प्रबंधन सकते में आ गया. इस दौरान मंत्री श्री महतो ने स्कूल प्रबंधन से कुछ नहीं कहा. सीधे काउंटर पर गये और अप्रैल से सितंबर महीने तक का ट्यूशन फीस 22,800 रुपये जमा कराये. श्री महतो ने कहा कि इस वक्त वह मंत्री की हैसियत से नहीं, एक अभिभावक की हैसियत से स्कूल में आये हैं. इस दौरान फीस काउंटर पर उन्होंने अपने गुस्से का इजहार भी किया.
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘स्कूल शिक्षा का मंदिर है. स्कूल में हम राजनीति करने नहीं आये हैं. मंत्री के रूप में नहीं, एक अभिभावक के रूप में यहां पहुंचे हैं. हम सीधे हकीकत जानने आये हैं. स्कूल की वस्तुस्थिति जानने आया हूं.’ उन्होंने कहा कि ट्यूशन फीस जमा नहीं होने की वजह से ऑनलाइन क्लास से उनकी नतिनी का नाम काट दिया गया था.
उन्होंने कहा कि इस वक्त वह अपनी नतिनी की फीस जमा कराने आये हैं. रही बात निजी स्कूलों की मनमानी की, तो इस मुद्दे को वह कैबिनेट में उठायेंगे. वह बात करेंगे कि मंत्रीके साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों के साथ क्या होता होगा. इसके बाद आगे क्या करना है, उसके बारे में सोचेंगे.
फोन पर दो दिन पहले मंत्री ने स्कूल के प्रबंधन से बात की थी. इसके बावजूद उनकी नतिनी को क्लास में शामिल करने से मना कर दिया गया. प्रिसिंपल से मंत्री ने कहा था कि क्लास में शामिल होने से न रोकें, फीस जमा करवा दिया जायेगा. लेकिन, उसका भी कोई असर नहीं हुआ. मंत्री ने कहा, ‘हम बच्चों की पढ़ाई बाधित क्यों करें. हमने फीस जमा करा दिया है.’
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रिसिंपल ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने ऑनलाइन क्लास में बच्ची के शामिल होने पर रोक लगायी है. बावजूद इसके वह पूरे मामले की जांच करायेंगे. उन्होंने कहा कि सच्चाई का पता लगायेंगे और सच सामने आने के बाद मामले को गंभीरता से लिया जायेगा. मंत्री ने कहा कि जो अभिभावक सक्षम हैं, वे फीस जमा करायें, बच्चों की पढ़ाई बाधित न होने दें.
शिक्षा मंत्री के निर्देश पर झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने 25 जून, 2020 को आदेश दिया था कि ऑनलाइन कक्षाएं चलाने वाले स्कूलों के खुलने तक विद्यार्थियों से सिर्फ ट्यूशन फीस ली जायेगी. साथ ही सत्र 2020-21 के लिए विद्यालय शुल्क में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की जायेगी. स्कूलों के पूर्ववत शुरू होने से पहले केवल शिक्षण शुल्क मासिक दर पर लिया जायेगा. शिक्षण शुल्क जमा नहीं करने पर किसी भी परिस्थिति में छात्र का नामांकन रद्द नहीं हो. छात्र को ऑनलाइन क्लास से भी वंचित नहीं किया जायेगा.
यह भी कहा गया था कि बिना भेदभाव के हर छात्र को ऑनलाइन क्लास के लिए आइडी, पासवर्ड व शिक्षण सामग्री दें. जब तक स्कूल बंद हैं, तब तक वार्षिक, यातायात या अन्य शुल्क नहीं लिया जाये. दोबारा स्कूल खुलने, कक्षाएं शुरू होने के बाद समानुपातिक आधार पर ही शुल्क लिया जायेगा. देरी से शुल्क का भुगतान करने पर अभिभावकों से विलंब शुल्क नहीं लिया जायेगा. स्कूल के शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन आदि में कटौती या रोक नहीं लगायी जायेगी.