भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) ने 22 बंद परियोजनाओं की स्टडी की जिम्मेदारी सीएमपीडीआईएल को दी है। कंपनी प्रबंधन इन परियोजनाओं को एमडीओ (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) के तहत चलाने पर विचार कर रहा है। उक्त परियोजनाओं को एमडीओ के तहत चलाना संभव है कि नहीं, इसपर सीएमपीडीआईएल से स्टडी कर मंतव्य देने को कहा गया है।

मालूम हो सीएमपीडीआईएल कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी है, जो खनन से संबंधित प्लानिंग-डिजाइनिंग आदि का काम करती है। सीएमपीडीआईएल से हरी झंडी मिलने पर बीसीसीएल प्रबंधन मामले पर आगे काम करेगा। पिछले महीने ही सीएमपीडीआईएल को स्टडी का जिम्मा सौंपा गया है। इनमें भूमिगत एवं ओपनकास्ट दोनों तरह के प्रोजेक्ट हैं। वैसे बताते चलें एक अन्य योजना के तहत कोल इंडिया 12 बंद भूमिगत खदान शुरू करने की तैयारी में भी है, जिसमें आठ ईसीएल एवं चार बीसीसीएल की हैं।

कोकिंग कोल की देश में कमी के कारण बीसीसीएल पर कोकिंग कोल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव है। नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 56 मिलियन टन कोयले का आयात किया जाता है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 72 हजार करोड़ है। बीसीसीएल देश की इकलौती कोकिंग कोल कंपनी है, जहां कोकिंग कोल के आयात को कम करने की क्षमता है। बीसीसीएल के अलावा ईसीएल एवं सीसीएल में कुछ कोकिंग कोल की खदानें हैं। हालांकि बीसीसीएल के मुकाबले ईसीएल-सीसीएल में उपलब्ध कोकिंग कोल की गुणवत्ता कम है। स्टील सेक्टर को गति देने के लिए कोकिंग कोल की ज्यादा से ज्यादा जरूरत है। ऐसी स्थिति में सरकार और कोल इंडिया के पास कोकिंग कोल का आयात से इतर एकमात्र विकल्प बीसीसीएल है।

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