बिहार विधानसभा में मुख्य विरोधी दल लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को मंगलवार को उस वक्त करारा झटका लगा जब उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा विधान परिषद के पांच सदस्यों ने भी पार्टी छोड़कर नीतीश कुमार का हाथ थाम लिया।

इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का विधान परिषद में विपक्ष के नेता का पद भी जाना तय माना जा रहा है। 75 सदस्यीय विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद के लिए आठ सीटें चाहिए जबकि आरजेडी के पास अब मात्र तीन सीट ही रह गयी हैं।

चुनावी साल में मुश्किलें बढ़ीं

पार्टी छोड़ने वाले विधान परिषद सदस्यों में मो. क़मर आलम, संजय प्रसाद, दिलीप राय, राधा चरण सेठ और रणविजय सिंह हैं। आरजेडी के कोर वोट बैंक समझे जाने वाले अल्पसंख्यक, यादव और पिछड़ों का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्यों मो. क़मर आलम, संजय प्रसाद, दिलीप राय और अति पिछड़ा और सवर्ण समाज से आने वाले राधा चरण सेठ और रणविजय सिंह के चुनावी वर्ष में पार्टी छोड़ देने से आरजेडी के लिए चुनौती गंभीर होती दिख रही है।

रामा सिंह के आने से रघुवंश नाराज

उधर, रघुवंश प्रसाद सिंह ने एलान किया है कि वे पार्टी में बने रहेंगे लेकिन कोई पद नहीं लेंगे। सत्ता के गलियारों में यह चर्चा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की पार्टी से नाराजगी का कारण लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व दबंग सांसद रामा सिंह को आरजेडी में शामिल किया जाना है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वैशाली संसदीय क्षेत्र से रामा सिंह बतौर एनडीए के घटक दल लोजपा के प्रत्याशी थे और तब उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी रहे रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया था।

वर्ष 1990 से आरजेडी से जुड़े रहे दिलीप राय 2015 में सीतामढ़ी और शिवहर स्थानीय प्राधिकार कोटे से विधान परिषद के सदस्य चयनित हुए थे। गोपालक समाज से आने वाले दिलीप राय का कार्यकाल 2021 तक था। पार्टी छोड़ने के सवाल पर राय का कहना है, “जनता के दबाव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों से प्रभावित होकर मैंने यह निर्णय लिया है।”

 

 

source : Satya Hindi

 

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