नई दिल्ली (IP News). भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि सरकार द्वारा बैंकों की हालत को सुधारने के लिये बैंकों का निजीकरण करना ठीक नहीं है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट में बैंकों के निजीकरण करने का संकेत दिया था। सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, लेकिन बैंकों के निजीकरण से सरकार के इस सपने को पूरा होने में निजी बैंकों का उतना योगदान नहीं होगा जितना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का होगा।
बैंकों के राष्ट्रीयकरण में भी प्रमुख कारण निजी बैंकों का देश की प्रगति में योगदान न करना था। राष्ट्रीयकरण से पहले 700 से अधिक बैंक डूबे थे।
समय समय पर बड़े बड़े निजी बैंकों की हालत खराब होने की स्तिथि में सरकार द्वारा ही इन बैंकों को बचाया जा सका।
बैंकों के निजीकरण करने से निजी बैंक अपने घराने के उद्योगों के लिये पब्लिक के पैसे का इस्तेमाल करेंगे। रोजगार के साधनों में भी कमी आयेगी और आरक्षण की सुविधा भी बंद हो जाएगी।
इसलिए बेहतर होगा सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की जगह इनको सुदृढ़ करे और बैंकों के हालात सुधारने के लिये सभी स्टेक होल्डर से बात करके कोई दूसरा रास्ता खोजे।
यहां बताना होगा कि मोदी सरकार के सरकारी बैंकों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस ने 15 एवं 16 मार्च देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस कामबंद हड़ताल में देशभर के 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मी और अधिकारी शामिल होंगे।