इसके बाद JSW स्टील अपीलीय ट्राइब्यूनल गई ताकि भूषण स्टील के खिलाफ चल रहे सभी आपराधिक मामलों में उसे राहत दे दी जाए। JSW की दलील थी कि कोई प्रोटेक्शन ना होने की वजह से रेज्योलूशन प्लान को झटका लग सकता है। एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने भूषण स्टील के एसेट्स को जब्त कर लिया था।
दिसंबर 2019 में इनसॉल्वेंसी के उस कानून में संशोधन किया गया जिसके तहत किसी कंपनी के पुराने मैनेजमेंट के अपराधों का बोझ कंपनी के नए मैनेजमेंट पर होता था। हालांकि इस मामले में (ED) ने NCLAT के सामने दलील पेश की थी कि यह छूट JSW स्टील पर लागू नहीं होगा क्योंकि यह रेट्रोस्पेक्टिव नहीं है। लिहाजा इस संशोधन का फायदा उन कंपनियो को नहीं मिलेगा जिनके रेज्योलूशन प्लान को पहले ही मंजूरी मिल गई है।
ED ने NCLAT से कहा, “सेक्शन 32A में संशोधन रेज्योलूशन प्लान अप्रूव होने के बाद आया था। 32A रेट्रोस्पेक्टिव नहीं है यानी 28 दिसंबर 2019 से पहले रेज्योलूशन प्लान अप्रूव होने वाली कंपनियों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। इसके मुताबिक, अपील करने वाली कंपनी (JSW स्टील) को इसके तहत छूट नहीं मिल सकती है।”
ब्लूमबर्ग क्वींट के मुताबिक, ED ने यह भी दलील दी थी कि अगर इस नजरिए से ना देखें तो भी यह छूट नहीं मिलेगी क्योंकि JSW स्टील “रिलेटेड पार्टी” है। भूषण स्टील और JSW स्टील ज्वाइंट वेंचर में रोहन कोल कंपनी (Rohne Coal) चलाते हैं लिहाजा इस संशोधन का फायदा इन्हें नहीं मिलना चाहिए। हालांकि NCLAT ने इन दलीलों को खारिज करके JSW स्टील को छूट दे दी।