भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार तड़के सुबह निधन हो गया। यूपी के लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 85 वर्षीय एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन का काफी दिनों से स्वास्थ्य खराब चल रहा था। उन्हें पेशाब में परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लालजी टंडन के निधन की जानकारी उनके बेटे अशुतोष टंडन ने ट्वीट कर दी।
लालजी टंडन लंबी बीमारी के कारण कोमोबिर्टीज और न्यूरो मस्कुलर कमजोरी के कारण वह बाई-रेप वेंटिलेटर को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। सोमवार शाम को दोबारा तबियत बिगड़ने पर उन्हें ट्रेकोस्टॉमी के माध्यम से फिर क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर पर लिया गया है। बीच-बीच में उनकी हालत में सुधार सूचनाएं भी मिलती रही हैं। लेकिन मंगलवार तड़के सुबह इलाज के दौरान उनका अस्पताल में निधन हो गया।
Shri Lalji Tandon was well-versed with constitutional matters. He enjoyed a long and close association with beloved Atal Ji.
In this hour of grief, my condolences to the family and well-wishers of Shri Tandon. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 21, 2020
मेदांता हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर राकेश कपूर ने बताया कि आज सुबह 5:35 बजे मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया है। उनकी किडनी के साथ-साथ लिवर फंक्शन भी गड़बड़ा गया था। वहीं, मौत की सूचना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट कर लालजी टंडन को श्रद्धांजलि दी।
1960 से शुरु हुआ था लालजी टंडन का राजनीति सफर
12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में जन्मे लालजी टंडन 1958 में शादी के बंधन में बंध गए। उन्होने स्नातक तक क शिक्षा हासिल की है। उनके पुत्र गोाल जी टंडन इस समय यूपी की योगी सरकार में मंत्री हैं। एमपी के राज्यपाल लालजी टंडन ने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 में की थी। टंडन दो बारा पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य भी रहे। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। लालजी टंडन को यूपी क राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है।
कब-कब लालजी टंडन बने मंत्री
1978 से 1984 और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। 19991 से 92 की यूपी सरकार में वह मंत्री भी बने। इसके बाद लालजी टंडन 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में फिर से वह गर विकास मंत्री बने।