जयपुर। राजस्थान की सियासी जंग में अब बीजेपी चिंता में हैं और उसे अपने विधायको को एकजुट करने की कवायद करनी पड़ रही है। इसी क्रम में बीजेपी ने अपने करीब 20 विधायकों को गुजरात भेज दिया है ताकि उन्हें पाला बदलने से रोका जा सके।
राजस्थान में बीजेपी को अपना घर एकजुट रखने की चिंता सताने लगी है। विधानसभा में शक्ति परीक्षण का दिन करीब आने के साथ ही बीजेपी ने अपने विधायकों को एक साथ रखने की कवायद शुरु कर दी है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को डर है कि कहीं उसके कुछ विधायक पाला न बदल लें, इसलिए शुक्रवार रात बीजेपी ने अपने कम से कम 20 विधायकों को गुजरात शिफ्ट कर दिया है। बताया जाता है कि जिन विधायकों को गुजरात भेजा गया है उनमें जालौर, सिरोही और उदयपुर संभाग के करीब एक दर्जन विधायक भी है। इन्हें शुक्रवार रात अहमदाबाद के एक रिसॉर्ट में शिफ्ट किया गया है, जपकि छह विधायकों को जयपुर एयरपोर्ट से चार्टर्ड विमान से पोरबंदर भेजा गया है।
हालांकि इस बारे में पूछने पर राजस्थान बीजेपी प्रमुख सतीश पुनिया का कहना है कि पार्टी के विधायक घूमने गए हैं। हालांकि उन्होंने संकेतों में माना कि उनके विधायकों को ‘ऑफर’ मिल रहे हैं, इसीलिए उन्हें ‘टूर’ पर भेजा गया है। उनका कहना है कि राज्य के आदिवासी हिस्से के कई विधायकों को लुभाने की कोशिश की जा रही है, जिसके कारण विधायक तनाव में आ गए थे, इसीलिए उहें यात्रा पर भेजने का फैसला लिया गया।
गौरतलब है कि राजस्थान में बीएसपी विधायकों के मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट 11 अगस्त को फैसला सुनाने वाला है, तब तक हाईकोर्ट ने विधायकों के विधानसभा में होने वाली वोटिंग में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है।
बताया जाता है कि जिन विधायकों को बीजेपी ने गुजरात भेजा है उनमें अमृत लाल मीणआ, बाबू लाल खरादी, धर्म नारायण जोशी, फूल सिंह मीणा और प्रताप गमेटी के अलावा कई आदिवासी विधायक हैं। बीजेपी को आशंका है कि भारतीय ट्राईबल पार्टी नेता गुजरात के नेता छोटू भाई वरोसा के प्रभाव के चलते या तो आदिवासी विधायक पार्टी के पक्ष में वोट नहीं करेंगे या फिर शक्ति परीक्षण के दिन सदन से गायब रह सकते हैं। ध्यान रहे कि राजस्थान विधानसभा में भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक हैं। इन दोनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है।
इस बीच बताया जा रहा है कि गुजरात भेजे गए बीजेपी विधायकों को रविवार को सोमनाथ मंदिर ले जाया जाएगा। इधर शुक्रवार को राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान में बीजेपी की प्रभावशाली नेता वसुंधरा राजे ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की और राज्य की राजनीतिक स्थिति पर विमर्श किया। शुक्रवार को ही केंद्रीय मंत्री और राजस्थान के बीजेपी नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी जे पी नड्डा से मुलाकात की। शेखावत को राजस्थान में वसुंधरा राजे का प्रतिद्वंदी माना जाता है। यह बात सार्वजनिक है कि राज्य में पार्टी की रणनीति चर्चाओं से वसुंधरा राजे को दूर रखा जाता रहा है। वुसंधरा राजे इस बात से भी काफी खफा रही है जिस तरह से राजस्थान बीजेपी कार्यकारिणी के चयन में उन्हें दरकिनार कर दिया गया था।
सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के ग्रुप को बीजेपी का समर्थन देने के पक्ष में नहीं है। उनके इस बयान के काफी राजनीतिक अर्थ निकाले गए थे जब उन्होंने कहा था कि लोकतांत्रिक तरीके से किसी भी चुनी हुई सरकार को विधायकों की खरीद-फरोख्त कर गिराना सही नहीं है। इसके अलावा वसुंधरा राजे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल का खुलकर समर्थन करती रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा राजे के पास कम से कम 50 विधायकों का समर्थन है, जबकि राज्य विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या कुल 72 है। ऐसे में अगर उनके गुट के विधायक सचिन पायलट गुट को समर्थन देने से इनकार कर देते हैं तो बीजेपी मुश्किल में फंस जाएगी साथ ही बीजेपी में दो फाड़ होने की भी संभावना बढ़ जाएगी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि वसुंधरा राजे किसी भी समय अपने गुट वाले विधायकों के साथ बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर सकती हैं।
वसुंधरा राजे के दिल्ली पहुंचने के साथ ही राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे कई मोर्चों पर पार्टी के फैसलों से नाराज हैं। इनमें जयपरु राजघराने की राजकुमारी दिया कुमारी और विधायक मदन दिलावर को प्रदेश महामंत्री बनाया जाना भी शामिल है। हालांकि इससे पहले वसुंधरा राजे की हठधर्मी हमेशा चलती रही है। उन्हीं की जिद के चलते अमित शाह की पसंद के बावजूद पिछली बार गजेंद्र सिंह शेखावत राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष नहीं बन पाए थे।