रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन पर एक बार फिर गिरफ्तारी की तलवार लटकती नजर आ रही है। फर्जी टीआरपी केस की जांच कर रही क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने सोमवार को किला कोर्ट में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता के रिमांड आवेदन में गोस्वामी पर उन्हें रिश्वत देने का आरोप लगाया है। जांच एजेंसी के इस आरोप के बाद गोस्वामी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैँ।
जांच एजेंसी सीआईयू ने पिछले सप्ताह बार्क के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। दासगुप्ता के नए रिमांड के लिए उसे सोमवार को कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। कोर्ट में सीआईयू की तरफ से दायर रिमांड आवेदन में कहा गया कि दासगुप्ता ने रिपब्लिक भारत हिंदी चैनल और रिपब्लिक टीवी अंग्रेजी न्यूज चैनल की टीआरपी में हेरफेर के लिए चैनल के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्यआरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची और गैरकानूनी काम किया और इसके बदले में गोस्वामी ने दासगुप्ता को समय-समय पर लाखों रुपये दिए।
सीआईयू ने दावा किया कि जांच में सामने आया है कि गोस्वामी के दिए रुपयों से ही पार्थ दासगुप्ता ने कई मूल्यवान वस्तुएं, महंगे गहने खरीदे। सीआईयू ने कोर्ट को बताया कि दासगुप्ता की गिरफ्तारी के बाद उनके घर की जांच में दो मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और आईपैड के अलावा एक लाख रुपये कीमत की हाथ घड़ी और किसी सिल्वर कलर के धातु के 3 किलो 300 ग्राम गहने बरामद हुए हैं। एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि गोस्वामी के दिए रुपयों से दासगुप्ता ने और क्या कुछ खरीदा, इसकी जांच अभी की जानी है और उन सामानों को जब्त भी करना है। इसी आधार पर सीआईयू ने कोर्ट से दासगुप्ता की और कस्टडी की मांग की। जिस पर कोर्ट ने 30 दिसंबर तक दासगुप्ता को एजेंसी की कस्टडी में भेज दिया।
बता दें कि फर्जी टीआरपी केस में 6 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी। तब से रिपब्लिक टीवी और कुछ अन्य टीवी चैनल जांच के घेरे में हैं। अब तक इस मामले में रिपब्लिक टीवी समेत कुछ अन्य चैनलों के कुछ अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। लेकिन अधिकृत रूप से अर्नब गोस्वामी का नाम जांच एजेंसी ने पहली बार लिया है। कोर्ट में लिखित में लगाए गए इस आरोप के बाद माना जा रहा है कि गोस्वामी की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है।