रेलवे बोर्ड ने उत्तर पश्चिम रेलवे सहित देशभर के 17 जोनल रेलवेज में ट्रेड यूनियन की मान्यता से जुडे चुनाव दिसंबर में कराने का निर्णय लिया है। बोर्ड द्वारा अंतिम स्वीकृति के लिए प्रस्ताव रेलमंत्री पीयूष गोयल को भेज दिया गया है। जिसे दिवाली के बाद स्वीकृति मिलना लगभग तय है। चुनाव से जुड़ी मॉडलिटी यानि नियम पहले ही जारी कर दिए गए थे।

हालांकि रेलवे बोर्ड मान्यता के चुनाव में इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप बिल 2020 के तहत बदलाव करना चाह रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय ने इस पर रोक लगा दी। गौरतलब है कि रेलवे में यूनियन की मान्यता से जुड़ा चुनाव देश का सबसे बड़ा संगठित क्षेत्र की ट्रेड यूनियन से जुड़ा चुनाव है। इस चुनाव में देशभर के करीब साढ़े दस लाख कर्मचारी भाग लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर उसी यूनियन को मान्यता मिलेगी जो कुल वोटर का 30 प्रतिशत या कुल पड़े मत का 35 प्रतिशत वोट हासिल कर लेगा।

छोटे संगठन बिगाड़ेंगे एआईआरएफ/एनएफआईआर का चुनावी गणित

रेलवे में दो बड़े फेडरेशन एआईआरएफ और एनएफआईआर से संबंधित संगठनों को ही सभी 68 रेल मंडलों में मान्यता मिली हुई है। लेकिन इस बार रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार रेलवे में इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप बिल 2020 लागू कर मॉडलिटी में बदलवा कर आरएसएस और बीजेपी समर्थित बीएमएस जैसे कई अन्य संगठनों को इस चुनाव में शामिल होकर दोनों फेडरेशन के वर्चस्व पर सेंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं।

 

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