मुबई। वेदांता को प्राइवेट कंपनी बनाने की कोशिश बाजार में उत्साह लाने में विफल रही है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह कोशिश सफल रही तो प्रवर्तक अनिल अग्रवाल नियंत्रित प्रवर्तक फर्म वेदांता रिसोर्सेज (वीआरएल) द्वारा निर्धारित सांकेतिक कीमत बढ़ानी होगी। मंगलवार को वीआरएल ने कहा था कि वह वेदांता की सूचीबद्घता समाप्त कराने के लिए शेयरधारकों से 87.5 रुपये (जो पिछले बंद स्तर 90.2 रुपये से कम है) प्रति शेयर के हिसाब से 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी।
विश्लेषकों का कहना है कि पिछले रुझान को देखते हुए डीलिस्टिंग (सूचीबद्घता समाप्त करना) के समय भाव ज्यादा होना चाहिए।
सीएलएसए ने एक रिपोर्ट में कहा है, वीआरएल की सांकेतिक ऑफर कीमत मौजूदा भाव से कम है। हमें विश्वास है कि निर्णायक कीमत इसकी तुलना में काफी ज्यादा हो सकती है। जब वीआरएल को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में प्राइवेट किया गया था तब यह पूर्ववर्ती बंद भाव के मुकाबले 27 प्रतिशत ऊपर था। पोलारिस इंडिया की सूचीबद्घता समाप्त किए जाते वक्त सांकेतिक कीमत निर्धारित भाव से 60 प्रतिशत ऊपर थी।
कॉरपोरेट प्रशासनिक फर्म स्टेकहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज (एसईएस) ने मूल्य की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। एसईएस के विश्लेषकों वरुण कृष्णन और जे एन गुप्ता ने एक रिपोर्ट में लिखा है, श्यह कहा जा सकता है कि यह निर्गम ज्यादा गंभीर नहीं है, क्योंकि यह उम्मीद की जा रही है कि निवेशक उस कीमत पर इस पेशकश को पसंद करेंगे जो 52 सप्ताह के ऊंचे स्तरों से 50 प्रतिशत कम हो।
डीलिस्ट की प्रक्रिया को कथित रिवर्स बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के जरिये आगे बढ़ाया जाएगा जिसमें शेयरधारकों को अपने शेयर सांकेतिक कीमत या उससे ज्यादा कीमत पर देने होंगे। बोली में सफल होने के लिए प्रवर्तक हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से ज्यादा लानी होगी।
यदि बुक बिल्डिंग के जरिये कीमत ज्यादा रहती है तो प्रवर्तकों को जवाबी ऑफर का विकल्प अपनाना होगा। विश्लेषकों का कहना है कि जवाबी ऑफर या काउंटर ऑफर निवेश बैंकरों द्वारा निर्धारित बुक वैल्यू से कम नहीं हो सकता। सितंबर 2019 में वेदांता की प्रति शेयर बुक वैल्यू 178 रुपये थी।
एसईएस ने वेदांता के निदेशक मंडल से कीमत की निष्पक्षता और अन्य विकल्पों पर शेयरधारकों के साथ चर्चा कराए जाने को कहा है। उसने कहा है, श्प्रवर्तक निश्चित तौर पर अपना पैसा लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें व्यवसाय और आगामी परिदृश्य में भरोसा है। यह अच्छा अवसर है और बोर्ड के लिए अपना कदम उठाने और निवेशकों के हित में काम करने के लिए सही समय है।
एसईएस का कहना है कि बोर्ड सभी शेयरधारकों को लाभान्वित करने के लिए हिंदुस्तान जिंक (एचजेडएल) को श्सहायक इकाई से मुक्तश् करने पर विचार कर सकता है। एचजेडएल में वेदांत की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वेदांत का शेयर मौजूदा समय में 180 रुपये की अपनी 52 सप्ताह की ऊंचाई की तुलना में आधी कीमत पर कारोबार कर रहा है।