नागपुर। कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कम्पनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) पिछले पांच वर्षों में कोयला-उत्पादन में वृद्धि करते हुए, मध्य, पश्चिम तथा दक्षिण भारत के सरकारी एवं निजी ताप विद्युत गृहों को सस्ता कोयला उपलब्ध करवाने में सफल रही है। इस प्रयास से बिजली-घरों की ऊर्जा-लागत में कमी आने से उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली-आपूर्ति में ताप विद्युत-गृहों को मदद मिल रही है। महाराष्ट्र (महाजेनको), मध्य प्रदेश (एमपीपीजीसीएल), गुजरात (जीएसइसीएल) तथा कर्नाटक (केपीसीएल) तथा अन्य निजी विद्युत- उत्पादक कम्पनियां उनकी कोयला-जरूरतों के लिए मुख्यतः डब्ल्यूसीएल पर ही निर्भर हैं।
डब्ल्यूसीएल के कोयला-प्रेषण का 50% से अधिक कोयला महाजेनको और 12% एमपीपीजीसीएल को जाता है। 2013-14 में डब्ल्यूसीएल का उत्पादन-स्तर घट कर 39 मिलियन टन पर पहुंच गया था। ऊर्जा-उपभोक्ताओं के पास कोल इंडिया की अन्य सहायक कम्पनियों ; एसईसीएल, एमसीएल तथा एससीसीएल से कोयला लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लम्बी दूरी के चलते उपभोक्ताओं द्वारा अधिक रेल-भाड़ा चुकाने के कारण, उसके गंतव्य तक पहुंचने में लागत बढ़ जाती थी।
डब्ल्यूसीएल ने नयी खदानें खोलने और वर्तमान परियोजनाओं के विस्तार की योजना बनायी। पिछले पांच वर्षों के दौरान, कम्पनी ने 45.64 मिलियन टन क्षमता की 20 खदानें खोलीं। 2019-20 में इन खदानों से 35.8 मिलियन टन कोयला-उत्पादन हुआ। परिणामस्वरूप, 2019-20 के दौरान कम्पनी का उत्पादन बढ़ कर 57.6 मिलियन टन हुआ। उत्पादन में यह वृद्धि उल्लेखनीय रही, क्योंकि गत पांच वर्षों में डब्ल्यूसीएल के उत्पादन में 22 मिलियन टन का ह्रास हुआ। वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान, महाजेनको को डब्ल्यूसीएल ने 17.60 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति की थी, जबकि 2019-20 में यह मात्रा 27 मिलियन टन रही।
डब्ल्यूसीएल से अतिरिक्त कोयला खरीदने के कारण,भाड़ा/किराये में महाजेनको को औसत 1200 रूपये प्रति टन की बचत होती है। ऊर्जा-उपभोक्ताओं को और अधिक कोयला उपलब्ध करवाने के लिए, डब्ल्यूसीएल ने पावर सेक्टर के लिए विशेष रूप से “माइन स्पेसिफिक सोर्स” के रूप में 11 खदानों को चिन्हित किया। किराया-लागत में उपभोक्ताओं को होने वाली इस बचत में से डब्ल्यूसीएल को आंशिक राशि नियमित मूल्य पर हल्के प्रीमियम के रूप में मिलती है। इससे आगामी वर्षों में नयी खदानें खोल कर, कोयला-प्रेषण बढ़ाना कम्पनी के लिए आसान हुआ है। इसका जिक्र प्रासंगिक है कि डब्ल्यूसीएल के माइन स्पेसिफिक कोयले की लैंडेड प्राइस, अन्य कोयला-कम्पनियों की के कोयले की लैंडेड प्राइस से कम है।
डब्ल्यूसीएल ने वर्तमान 57.6 मिलियन टन उत्पादन को बढ़ा कर 2023-24 में 75 मिलियन टन तथा 2027-28 में 100 मिलियन टन तक ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना बनायी है। उत्पादन और प्रेषण में वृद्धि के आलोक में, डब्ल्यूसीएल 2020-21 से ही इन उपभोक्ताओं की सम्पूर्ण कोयला-ज़रूरत की पूर्ति के लिए तैयार है। आकलन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में महाजेनको को करीब 35 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता होगी। कम्पनी ने कोयले की सम्पूर्ण मात्रा की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है, जिससे किराया-लागत में महाजेनको को भारी बचत होगी।डब्ल्यूसीएल ने आयात-विकल्प के रूप में निजी बिजली-उत्पादकों को भी कोयला प्रेषित करना प्रारम्भ कर दिया है।