कोरबा (आईपी न्यूज)। बलराम साहू, कोरबा के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट। उन्होंने अपने कैमरे में शबनम यानि ओंस की बुंदों को कैद किया। ऐसे में एक कविता याद आती है जो इस तरह है:
शबनम !
हर रात तुम क्यों भीग जाती हो ?
तुम हो ही शबनम !
कि किसी की चाह में नमी बन जाती हो ?
हर सुबह तुम,
हर पात पे, हर फूल पे बिखरी हुई पाती हो !
किसी के मोहब्बत की नजाकत है ये,
या तुम खुद ही बिखर जाती हो?
शबनम बोलो तो, तुम कौन हो, कहाँ से आती हो?
शबनम !
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