कोरबा (आईपी न्यूज़)। कोल इंडिया की कोयला खदानों में कॉमर्शियल माइनिंग का फैसला, भाजपा शाषित राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव आदि मुद्दों को लेकर 22 मई को देशव्यापी विरोध दिवस मनाया जाएगा। औद्योगिक जिला कोरबा में विरोध दिवस को सफल बनाने सयुंक्त मोर्चा की बैठक हुई।

एटक से दीपेश मिश्रा, एचएमएस से ए.विश्वास, सीटू से जनक दास एवं इंटक से विकास सिंह ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार ने कोयला क्षेत्र मे कमर्शियल माइनिंग तथा सरकारी एकाधिकार को समाप्त करने का जो ऐलान किया है इसे किसी भी हाल मे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संबंध मे मजदूर नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार मजदूर व उद्योग विरोधी नीतियां ला रही है। कुछ राज्य सरकारों ने कोविड-19 की आड़ मे तीन से चार साल के लिए श्रम कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव लाया है जिसके तहत काम के घंटे को आठ से बढ़ा कर 12 घंटे करने की योजना है जो कि पूरी तरह से फैक्ट्री एक्ट का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है।

इसी तरह केंद्र सरकार ने मजदूरों के हित मे बने 44 श्रम कानूनों को चार कोड बिल मे समेटने जा रही है। मौजूदा सरकार ने कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने की योजना बना ली है। देश की धरोहर सार्वजनिक उपक्रमों को भी कुछ चुनिंदा उद्योग घरानों को बेचने की तैयारी है।

इन्हीं मुद्दों को लेकर केंद्रीय श्रम संगठनों ने 22 मई को देशव्यापी ” विरोध दिवस ” मनाने का फैसला लिया है। इसी के तहत कोरबा क्षेत्र के समस्त कोयला खदानों में विरोध दिवस कार्यक्रम किया जाएगा और महाप्रबंधक कार्यालय में प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन को आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

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