By … मोहम्मद सादिक शेख

जंगल में मांसाहारी जानवरों के झुण्ड की नजर जैसे ही अपने शिकार पर पड़ती है वो उसे दबोचने टूट पड़ते हैं। बेचारा शिकार बचने की जुगत करता है, लेकिन अंततः झुण्ड के जानवर उसे चीरफाड़ कर अपना निवाला बना लेते हैं। अफसोस की इंसान भी ऐसा करने लगे हैं। मांसाहारी जानवर तो अपनी भूख मिटाने यह शिकार करता है, लेकिन इंसान किस भूख को शांत करने ऐसा करने लगा है? तो फर्क क्या रह गया। वाकई में पालघर, महाराष्ट्र की घटना ने झकझोर दिया है।

देश भर में कई स्थानों पर मॉब लिंचिंग यानी इंसानों के समूह द्वारा इंसान पर हमला कर उसे मार डालने की घटनाएं हुईं। झूठी अफवाहों के चलते भीड़ ने कई लोगों को मौत के घाट उतारा है। आखिर अचानक इतने लोग एक साथ एक ही मकसद से कैसे इकट्ठे हो जाते हैं?

भीड़ का मनोविज्ञान सामाजिक विज्ञान का एक छोटा-सा हिस्सा रहा है। यह एक अजीब और पुराना तरीका है जिसकी प्रासंगिकता समाज में स्थिरता आने और कानून-व्यवस्था के ऊपर भरोसे के बाद खत्म होती गई।

भीड़ के मनोविज्ञान के ऊपर चर्चा एक अलग तरह की घटना के तौर पर शुरू हुई, जब हम फ्रांसीसी क्रांति की भीड़ या फिर कु क्लक्स क्लान की नस्लीय भीड़ को इसका उदाहरण मानते थे।

तब भीड़ के मनोविज्ञान में एक काले व्यक्ति को सफेद लोगों की भीड़ द्वारा मारने का पुराना मसला ही चर्चा का विषय होता था। यहां तक की गॉर्डन ऑलपोर्ट और रोजर ब्राउन जैसे बड़े मनोवैज्ञानिक भी भीड़ के मनोविज्ञान को एक सम्मानजनक विषय नहीं बना सके।

कुछ लोग इसे समाज विज्ञान और मनोविज्ञान तक पैथोलॉजी के तौर पर और अनियमित घटनाओं के रूप में सीमित रखते हैं।

यह साफ है कि हिंसा का ये तरीका एक महामारी जैसा है। हर बार शुरुआत एक जैसी होती है, हिंसा का तरीका एक जैसा होता है। हर मामले में अफवाहें आधारहीन होती हैं। फिर ये तरीका एक से दूसरी जगह पहुंचता जाता है।

सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर यह अफवाहें बड़ी तेजी से दौड़ती हैं। फिर कुछ मामलों में ऐसी भीड़ को नायक का दर्जा देते हुए उनका सम्मान किया जाता है।

देश, दुनिया कोरोना वायरस के हमले से जुझ रही है। हमला सीधे मानव पर है। लिहाजा वक्त का तकाजा इंसानों को बचाने और मानवता तथा इंसानियत पर खरे उतरने का है। ऐसे में पालघर की घटना दिल- दिमाग को हिला कर रख देती है।

माॅब लिंचिंग की कुछ घटनाएं :  
– फरवरी 2020 : मध्यप्रदेश के धार जिले में बच्चा चोरी की अफवाह में भीड़ ने सात लोगों को लाठी और पत्थरों से पीटा। एक व्यक्ति की मौत हो गई।
– अप्रेल 2019 : झारखंड के गुमला जिले में एक शख्स की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। उसे गोहत्या के शक में मारा गया।
– जून 2019 : उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक महिला और एक युवक को भीड़ ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। कारण जमीन के एक टुकड़े पर कचरा फेंक दिया था।
– अक्टूबर 2019  :  तेलंगाना के निजामाबाद जिले में मंदिर में चोरी करने के शक में एक 25 वर्षीय युवक की ग्रामीणों की भीड़ ने पिटाई कर मार डाला।
– नवम्बर 2019 : असम के तिनसुकिया जिले में कुछ लोगों ने मोबाइल चोरी के संदेह में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
– नवम्बर 2019 : पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में पशु चोरी के शक में दो लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
– नवम्बर 2019 : झारखंड के बोकारो में चोरी के शक में पकड़े गए दो लोगों की भीड़ ने खंभे से बांधकर पिटाई कर दी। इसमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
– जुलाई 2018 : मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में बच्चा चोरी की अफवाह पर भीड़ ने एक महिला की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
– अगस्त 2018 : उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में भैंस चोरी के इल्जाम में भीड़ ने एक 22 साल के युवक को पीट-पीटकर मार डाला।
– सितम्बर 2018 : राजधानी दिल्ली में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
– अक्टूबर 2018 : उत्तर प्रदेश में अमेठी के सरैया गांव में एक मंदिर में धार्मिक समारोह के दौरान एक नाबालिग को भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी।
– नवम्बर 2018 : उत्तर प्रदेश के शामली जिले के एक गांव में भीड़ ने कथित तौर पर एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
– अप्रेल 2017 : राजस्थान अलवर के बहरोड़ में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भीड़ ने गोमांस को लेकर एक व्यक्ति पर हमला बोल उसे मार डाला।
– मई 2017 : झारखण्ड के नगाडीह गांव, पूर्वी सिंहभूम में तीन युवकों पर अफवाह के कारण एक हजार लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया।
– मई 2017 : झारखण्ड के शोभापुर गांव, सरायकेला-खारसवान में चार युवकों पर गोकशी के आरोप में 600-700 लोगों की भीड़ ने हमला कर मार दिया।
– जून 2017 : झारखण्ड में गौमांस लाने-ले-जाने के शक में भीड़ ने एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार दिया।
– जुलाई 2017 : नई दिल्ली के मंगोलपुरी में एक महिला का मोबाइल लूटकर भाग रहे बदमाश को भीड़ ने दबोचकर धुनाई कर मार डाला।
– अगस्त 2017 : झारखंड के साहेबगंज में भीड़ ने दो महिलाओं समेत 4 लोगों पर चोटीकटवा होने का आरोप लगाकर पीट डाला। एक महिला की मौत हो गई।

(लेखक के ये स्वतंत्र विचार हैं)

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