कोरबा (IP News). बुधवार को लोकसभा में महामारी और लॉकडाउन के बीच कमर्शियल माइनिंग के लिए 41 कोल ब्लॉक्स की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के पीछे का कारण पूछा गया। यह लिखित सवाल सांसद ए राजा ने उठाया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या केंद्र सरकार द्वारा मनमाने ढंग से 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी शुरू करने से पहले कोयला के क्षेत्र वाले राज्यों के साथ परामर्श किया गया था? क्या सीआईएल अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाया है जिसके कारण वाणिज्य कोयला खनन के लिए निजी क्षेत्र को अनुमति दी गई है?
कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी का लिखित जवाब :
वर्तमान कोविड-19 स्थिति में भारत सरकार अर्थव्यवस्था में वृद्धि करने हेतु सभी प्रकार के प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत के रूप में कई उपाय शुरू किए गए हैं। आर्थिक मंदी की वर्तमान अवधि के दौरान सरकार का दायित्व निवेश आकर्षित करना है और रोजगार सृजन करना है। कोयले के उपभोक्ता विशेष रूप से धातु उद्योग में विद्युत संयंत्र को तत्काल आधार पर और अधिक भारतीय कोयले की आवश्यकता है। भारत अपनी कोयला मांग का 20% से अधिक का आयात कर रहा है तथा खानों के पास कोयला उपभोक्ताओं की मांग पहले से ही उपलब्ध है। नीलामी प्रक्रिया स्थगित करने से खानों के विकास में विलंब ही होगा तथा देश बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करके कोयले का आयात करता रहेगा। वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी के अंतर्गत दौर में कोयला ब्लॉकों के खनन पट्टे 30 वर्षों के लिए दिए जाएंगे। आगे की अवधि के लिए इसका नवीनीकरण भी किया जाएगा। बोलीदाता दीर्घकालीन आर्थिक हित को ध्यान में रखते हुए राजस्व को शेयर करेंगे। कोविड- 19 स्थायी ना रहने की संभावना है। अतः नीलामी को और आगे स्थगित करने हेतु इसे पर्याप्त कारण नहीं माना जा सकता। यह सत्य है कि इन कोयला ब्लॉकों में उत्पादन होने में कम से कम 3 से 5 वर्ष लगेंगे। उस समय तक कोविड- 19 महामारी समाप्त हो जाने की संभावना है।
राज्यों से परामर्श पर यह है जवाब
नीलामी का चालू दौर शुरू होने से पूर्व राज्य सरकारों जहां कोयला खनन स्थित है, के साथ निबंधन एवं शर्तों पर परामर्श किया गया था। कोयला मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक विचार-विमर्श हेतु कोयला खानों की नीलामी के लिए प्रमुख निबंधन एवं शर्तों के संबंध में चर्चा पत्र 14 जनवरी, 2020 को प्रकाशित किया गया था तथा इसकी प्रतियां दिनांक 22 जनवरी, 2020 को पत्र के माध्यम से सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को भेजी गई थी। कोयलधारी राज्य सरकारों से टिप्पणियां मांगी गई थी तथा उक्त पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि नीलम की जाने वाली 80 कोयला खानों का विस्तृत ब्योरा सहित अंतिम सूची सीएमपीडीआई की वेबसाइट पर डाल दी गई है तथा नीलामी का प्रथम दौर वित्त वर्ष 2019- 20 में शुरू होना प्रस्तावित है। तत्पश्चात सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ दिनांक 5 फरवरी, 2020 को एक बैठक हुई थी। मंत्रालय द्वारा नीलामी हेतु पहचान किए गए 80 कोयला ब्लॉकों के लिए कोयला निकासी मार्ग के संबंध में सीएमपीडीआई रांची में दिनांक 23 फरवरी, 2020 को दूसरी बैठक की गई थी।