रियाद/नई दिल्ली: सऊदी अरब के उच्चतम न्यायालय ने देश में कोड़े मारने की सजा खत्म करने की घोषणा की है। सऊदी अरब के शाह और युवराज (क्राउन प्रिंस) द्वारा मानवाधिकार की दिशा में उठाया गया यह ताजा कदम है। देश की अदालतों द्वारा दी जाने वाले कोड़े मारने की सजा का पूरी दुनिया के मानवाधिकार समूह विरोध करते हैं क्योंकि कई बार अदालतें 100 कोड़े तक मारने की सजा सुनाती हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब के उच्चतम न्यायालय का कहना है कि ताजा सुधार का लक्ष्य ”देश को शारीरिक दंड” के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के मानदंडों के और करीब लाना है। फिलहाल विवाहेत्तर यौन संबंध, शांति भंग करना और हत्या तक के मामलों में अदालतें आसानी से दोषी को कोड़े मारने की सजा सुना सकती थीं। न्यायालय ने एक बयान में कहा है कि भविष्य में न्यायाधीशों को जुर्माना, जेल या फिर सामुदायिक सेवा जैसी सजाएं चुननी होंगे।
हाल के सालों सऊदी में कोड़े मारने की सजा उस समय बहुत सुर्खियों में आई थी जब 2014 में ब्लॉगर रइफ बादावी को इस्लाम की तौहीन का दोषी बताते हुए 10 साल कैद और 1000 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी।
हाल ही में 69 वर्षीय एक्टिविस्ट अब्दुल्ला अल-हमीद की कैद में स्ट्रोक से मौत के बाद सऊदी अरब में मानवाधिकारों को लेकर सवाल उठे थे। इसके कुछ ही दिनों बाद सरकार ने यह फैसला किया है। प्रिंस मोहम्मद क्राउंस प्रिंस के बागडोर संभालने के बाद सऊदी अरब में मानवाधिकारों का रिकॉर्ड खराब हुआ है। ऐसे में कोड़े मारने सी सजा को खत्म करने का कदम बेहद महत्वपूर्ण है।