चेन्नई (IP News). आॅल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री ने चेन्नई में केन्द्र पर हमला बोला और कहा कि सरकार भारतीय रेल को कारोबार समझती है। यही वजह है कि वो इससे छुटकारा पाने के लिए रेल को बेचने की साजिश कर रही है। महामंत्री ने युवाओं का आह्वान किया कि वो एकजुट हो जाएं और पुरानी पेंशन की बहाली के साथ ही रेल को बचाने की लड़ाई में पूरी ताकत लगा दें।
महामंत्री के चेन्नई पहुंचने पर सदर्न रेलवे मेंस यूनियन के रेल कर्मचारियो ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। यहां बड़ी संख्या में उपस्थित रेल कर्मियों को संबोधित करते हुए महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने भारतीय रेल के मौजूदा हालात पर चर्चा की और कहा कि आज भारतीय रेल अपनी स्थापना के सबसे मुश्किल दौर में है। सरकार न सिर्फ भारतीय रेल को बेचना चाहती है, बल्कि इसके लिए वो काफी जल्दबाजी में भी है। बस सरकार को पता है कि एआईआरएफ और उससे सम्बद्ध यूनियनों के रहते निजीकरण और निगमीकरण आसान नहीं होगा। लिहाजा एक साजिश के तहत यूनियन को भी कमजोर करने के साथ खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
महामंत्री ने कहा कि आज रेल को बचाना हम सब की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए, क्योंकि पुरानी पेंशन की लड़ाई और यूनियन की मान्यता का चुनाव तभी कामयाब होगा, जब हमारी रेल बची रहेगी। हम चुनाव जीत जाएं, पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई भी जीत लें, लेकिन रेल को बचाने की लड़ाई हार गए तो दोनों जीत बेमानी साबित होगी। इसलिए आज जरूरत इस बात की है कि सबसे पहले संगठित होकर रेल को बचाने की लड़ाई लड़ी जाए, इसमें युवाओं और महिलाओं को अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। महामंत्री ने आगाह किया कि निजीकरण और निगमीकरण हुआ तो सबसे पहले महिलाएं ही सरकार के निशाने पर होंगी।
महामंत्री ने कहाकि देश में 30 फीसदी वोट पर सरकार बन जाती है, 26 प्रतिशत वोट पर सांसद चुन लिए जाते हैं और वो मंत्री तक बन जाते है, लेकिन यूनियन की मान्यता के लिए मस्टररोल का 51 फीसदी वोट का प्रावधान किया जा रहा है। ये कानून एआईआरएफ को कतई मंजूर नहीं है। इसका विरोध किया जा रहा है।
महामंत्री ने कहा कि सच्चाई ये है कि भारतीय रेल को रेल कर्मचारी ही बेहतर तरीके से चला सकते है। सरकार ने बड़े धूमधाम से प्राइवेट पार्टनर के जरिए तेजस ट्रेन को चलाया पर सफर मंहगा होने की वजह से पहले तो ये ट्रेन बंद हो गई। दोबारा शुरु जरूर हुई है, लेकिन पैसेंजर नहीं है। अब एक बार फिर सरकार द्वारा 109 रुट पर 150 ट्रेन चलाने की कोशिश हो रही है, सरकार इसमें भी कामयाब नहीं होगी। महामंत्री ने कहाकि जिस किसी भी देश में रेलवे का निजीकरण हुआ, वहां रेलवे का बेड़ा गर्क हो गया और निजीकरण से दोबारा रेलवे का सरकारीकरण किया जा रहा है, लेकिन केंद्र की सरकार इससे सबक लेने को तैयार नहीं है।
महामंत्री ने कहा कि जब लक्ष्य बड़ा हो तो सभी को साथ लेकर संघर्ष की रणनीति तैयार करनी होगी, इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर एनसीसी आरएस का गठन किया गया है। भारतीय रेल मंे 1974 की हड़ताल भी एनसीसी आरएस के नेतृत्व में हुई थी, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया था। महामंत्री ने कहाकि पुरानी पेंशन की बहाली और निजीकरण – निगमीकरण के खिलाफ जल्दी ही एक राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम ऐलान किया जाएगा।
महामंत्री ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहाकि एक ओर तो प्रधानमंत्री रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन कोरोना वारीयर्स बताते हैं, दूसरी ओर ड्यूटी के दौरान शहीद हुए रेल कर्मियों को एक्सग्रेसिया के मामले में चुप्पी साध लेते हैं। अब सरकार को ये भेदभाव खत्म करना ही होगा। महामंत्री ने कहाकि कोरोना वारीयर्स के शहीद होने पर कुछ विभागों को 50 लाख एक्सग्रेसिया और रेलकर्मचारियों के मामले में अभी तक कोई फैसला नहीं, ये सब चलने वाला नहीं है।
महामंत्री ने कहा कि नाइट ड्यूटी एलाउंस पर बात काफी आगे बढ़ चुकी है, किसी को भी निराश होने की जरूरत नहीं है। एआईआरएफ ने साफ कर दिया है कि जो भी प्रकृति के नियमों को विपरीत काम करते हैं, चाहे उनका वेतन कुछ भी हो, सभी को एनडीए देना ही होगा।