एक तरफ जहां देश का युवा वैसे ही सरकारी नौकरी पाने के लिए दर दर भटक रहा है और दिन पर दिन घटती वैकेंसी से तथा कम वैकेंसी के आने से तनावग्रस्त हो रहा है वही उत्तरप्रदेश सरकार ने बेरोजगार छात्रों के लिए एक नयी मुसीबत लाने की तैयारी कर ली है|

जानकारी के अनुसार, योगी सरकार यह प्रस्ताव लाने की तैयारी में है कि अब उत्तर प्रदेश में समूह ‘ख’ तथा समूह ‘ग’ की सरकारी नौकरी में जो भर्तियाँ होंगी उसमे चयनित छात्र पहले पांच साल संविदा पर रहेगा और उसके बाद उसकी परफॉरमेंस के आधार पर उसको परमानेंट किया जायेगा| देश का युवा वैसे ही रोज़गार के लिए परेशान है| ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव युवाओं के लिए और मुश्किल खड़ी करेगा| शासन का कार्मिक विभाग इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष विचार के लिए लाने की तैयारी कर रहा है। इस प्रस्ताव पर कार्मिक विभागों ने अन्य विभागों से राय मशवरा शुरू कर दिया गया है।

वर्तमान में सरकार भर्ती प्रक्रिया से रिक्त पदों पर लोगों को चयन के बाद सेवा नियमावली के अनुसार एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति देती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह वेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। इस दौरान वह वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं। नियमित होने पर वह नियमानुसार अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाहन करते हैं। पर, प्रस्तावित पांच वर्ष की संविदा भर्ती और इसके बाद मौलिक नियुक्ति की कार्यवाही से समूह ‘ख’ व ‘ग’ की पूरी भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से बदलने की तैयारी कर ली है। नई व्यवस्था में तय फार्मूले पर इनका छमाही मूल्यांकन होगा। इसमें प्रतिवर्ष 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले सेवा से बाहर होते रहेंगे। जो अभ्यर्थी पांच वर्ष की सेवा तय शर्तों के साथ पूरी कर सकेंगे, उन्हें मौलिक नियुक्ति दी जाएगी।

यह विभाग रहेंगे इन नियमावली से बाहर

यह प्रस्तावित नियमावली सरकार के सभी सरकारी विभागों के समूह ख व समूह ग के पदों पर लागू होगी। यह नया नियम मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 पर भी लागू होगी। इसके दायरे से केवल प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा (कार्यकारी एवं न्यायिक शाखा) तथा प्रादेशिक पुलिस सेवा के पद ही बाहर होंगे जिसके अन्दर पीसीएस, पीपीएस व पीसीएस-जे आते है|

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