रायपुर. सर्वाधिक कोरोना प्रभावित पुणे में हुए सीरो सर्वे में पचास फीसदी से अधिक लोगों में कोविड-19 का एंटीबॉडी पाया गया है। विशेषज्ञों का यह तथ्य चौंकाने वाला हो सकता है कि छत्तीसगढ़ में भी स्थिति कुछ इस तरह की है। यानी लोगों को कोरोना हुआ और बिना किसी जांच या इलाज वे स्वस्थ्य हो गए और उनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो गई। कोविड वायरस का शरीर पर हमला कम संख्या में होने या फिर संबंधित व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ऐसी होने की वजह से संभव हुआ।
कोरोना प्रभावित महाराष्ट्र के पुणे में लोगों में कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए बीस जुलाई से 5 अगस्त के बीच सीरो सर्वे कराया गया था, जिसमें विभिन्न वर्ग के लोगों की जांच के बाद उनके शरीर की जांच की गई और 51 प्रतिशत लोगों में सीरो पॉजिटिविटी पाया गया। यानी ये लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हुए और स्वस्थ होने के बाद उनके भीतर कोविड के वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो गया।
वर्तमान में प्रदेश में चलाए जा रहे स्वास्थ्य अभियान के दौरान 4.30 लाख लोगों की जांच हो चुकी है, जिसमें 16 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं, लेकिन प्रदेश की ढाई करोड़ से ज्यादा आबादी में पचास फीसदी से ज्यादा ऐसे लोग हैं जिनके भीतर कोविड-19 का एंटीबाॅडी मौजूद है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश की पचास फीसदी से ज्यादा आबादी कोरोना संक्रमित हुई, लेकिन कोविड-19 का वायरस उनके शरीर पर हावी नहीं हो पाया। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की वजह से वायरस डेड हो गया और उनमें कोरोना का कोई बड़ा लक्षण भी उभरकर सामने नहीं आ पाया, इसलिए उनकी कोरोना की जांच की आवश्यकता भी नहीं हुई।
हर वर्ग में कोरोना
प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने हर वर्ग और हर उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाया है। छोटे बच्चे से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग भी इसके शिकार हुए हैं। पुणे में सीरो सर्वे के दौरान निचली बस्ती, उच्च और मध्य वर्ग को ध्यान में रखकर किया गया था। इससे यह स्पष्ट हुआ था कि किस वर्ग के लोगों में कोविड का एंटीबॉडी अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में भी कुछ इसी तरह के एंटीबॉडी सर्वे की आवश्यकता है, क्योंकि यहां भी बड़ी आबादी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुकी है।
डेड वायरस खतरनाक नहीं
विशेषज्ञों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) यह मानती है कि मानव शरीर में कोविड-19 का डेड वाइरस खतरनाक नहीं होता। वह वापस नहीं लौटता और ना ही दूसरे को प्रभावित कर सकता है। प्रदेश में इस तरह की शिकायत भी बहुत कम संख्या में सामने आई है कि किसी कोरोना संक्रमित के स्वस्थ होने के बाद वह पुन: कोविड के वायरस का शिकार हुआ हो।
ऐसा संभव
बिना किसी लक्षण के कोरोना संक्रमित होना और बिना इलाज के स्वस्थ होने के मामले भी सामने आए हैं। कोरोना के वाइरस के कम संख्या में हमला अथवा इम्यूनिटी पॉवर के कारण यह संभव है। – डा. सुभाष पांडे, संयुक्त संचालक एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग
काफी मामले
बिना लक्षण के कोरोना संक्रमित होने और साधारण दवा खाकर उनके स्वस्थ होने के काफी मामले सामने आ चुके हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ऐसा हो पाता है। – डा. रविंद्र पांडा, विशेषज्ञ टीबी एवं चेस्ट विभाग