नई दिल्ली (IP News). केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 पर मसौदा अधिनियम को अधिसूचित कर दिया है। इसको लेकर 45 दिनों के भीतर आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
मंत्रालय द्वारा विज्ञप्ति के अनुसार सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अंतर्गत संशोधित प्रावधान भवन निर्माण में लगे मजदूर, असंगठित क्षेत्र के कामगारों, टमटम कर्मी और प्लेटफार्म कामगारों के लिए विभिन्न प्रकार के सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों में बदलाव होगा, जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, ग्रेच्युटी तथा मातृत्व लाभ से जुड़े बदलाव शामिल हैं। मसौदा नियम असंगठित क्षेत्र, टमटम कर्मी और प्लेटफार्म कामगारों को केंद्र सरकार के पोर्टल पर आधार की मदद से स्वतः पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ऐसे पोर्टलको विकसित किए जाने के लिए पहले ही कदम उठाए हैं। इस अधिनियम के तहत सामाजिक सुरक्षा के प्रस्तावित लाभ प्राप्त करने के लिए असंगठित क्षेत्र याटमटम कर्मी या प्लेटफार्म कामगारों को चिन्हित योजना के विवरण के साथ पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। यह अधिनियम अन्य निर्माण कामगारों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार या राज्य कल्याण बोर्ड की चिन्हित वेबसाइट पर आधार आधारित पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
इन बदलावों के चलते भवन निर्माण मे लगे मजदूर अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो उन्हें सामाजिक सुरक्षा के सभी लाभ जिस राज्य में वह काम कर रहे हैं वहां पर प्राप्त होगा और ऐसे कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी उस राज्य के भवन निर्माण कर्मी कल्याण बोर्ड की होगी।
इन नियमों में ऐसे मजदूरों के लिए भीग्रेच्युटी के प्रावधान किए गए हैं जिन्हें निर्धारित अवधि के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।
इन नियमों में उपलब्ध प्रावधान से किसीप्रतिष्ठान के लिए एकल इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण कराना होगा जिसमें व्यवसायिकगतिविधियों के बंद होने की स्थिति में पंजीकरण का निरस्तीकरण भी शामिल है। ईपीएफओ और ईएसआईसी के दायरे से किसी व्यवसायिक प्रतिष्ठान के बाहर होने के संबंध में नियम और शर्तों के भी प्रावधान इसमें किए गए हैं। भवन निर्माण या अन्य निर्माण कर्मियों के लिए सेस का भुगतान और स्वतः आंकलन की प्रक्रिया को इन नियमों में विस्तार स ेउल्लेखित किया गया है। स्व आकलन के उद्देश्य से रोजगार प्रदाता को राज्य के लोक निर्माण विभाग या केंद्रीय लोक निर्माण विभाग या रियल स्टेट नियामक प्राधिकरण को जमा कराए गए दस्तावेज या रिटर्न के आधार पर निर्माण लागत कीगणना करनी होगी।
सेस के भुगतान में देरी पर लगाए जाने वाले ब्याज दर को भी प्रतिमाह 2ः से घटाकर 1ः किया गया है। वर्तमान में मौजूद नियमों के आधार पर आकलन अधिकारी को यह निर्देशित करने का अधिकार था किनिर्माण स्थल से कोई भी निर्माण सामग्री या मशीन को हटाया नहीं जा सकता और उसे प्रभावित नहीं किया जा सकता। ऐसे अधिकारों से निर्माण कार्य को अनिश्चितकाल के लिए रोका जा सकता था, अतः मसौदा नियमों में इसे खत्म कर दिया गया है। अब आकलन अधिकारी निर्माण स्थल का दौरा कर सकता है लेकिन उसके लिए उसके पास भवन और अन्य निर्माण कर्मचारी बोर्ड के सचिव की मंजूरी प्राप्त हो। मसौदा नियमों में भुगतान संबंधी दिशा निर्देश भी तय किए गए हैं।