नई दिल्ली (IP News). देश की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के अध्यक्ष अनिल कुमार चैधरी को लोदी रोड स्थित सेल के निगमित कार्यालय में आयोजित राजभाषा संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह के दौरान राजभाषा के बड़े पैमाने पर प्रचार – प्रसार के लिए श्राजभाषा उन्नायक सम्मान श् से विभूषित किया गया। सेल अध्यक्ष ने यह सम्मान भारत सरकार के सचिव (राजभाषा), गृह मंत्रालय, डॉ सुमीत जैरथ, जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता थे, से ग्रहण किया, जिसमे उन्हें एक शील्ड और एक प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया। इस्पात सचिव पी के त्रिपाठी इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम में इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, सेल के निदेशक और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। सेल के अन्य संयंत्रों और यूनिटों ने भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन सहभागिता रही।
इस सम्मान को ग्रहण करते हुए अनिल कुमार चैधरी ने पूरे सेल परिवार को राजभाषा का उपयोग बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि “देश की सर्वाधिक इस्पात उत्पादन करने वाली कंपनी सेल ने हमेशा हिंदी के प्रचार – प्रसार को बढ़ावा दिया है और साथ ही हमारी कंपनी राजभाषा के उत्थान में अपने दायित्व को समझती है। राजभाषा के प्रगामी इस्तेमाल की सुविधा को बढ़ाना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। सेल लगातार विभिन्न प्रकार की हिंदी कार्यशालाओं और संगोष्ठियों एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करती है जिससे सेल कर्मियों द्वारा हिंदी के प्रयोग को विस्तारित किया जा सके।”
डॉ सुमीत जैरथ, भारत सरकार के सचिव (राजभाषा), गृह मंत्रालय ने श्री चैधरी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘’सेल कई तरह के आयोजनों द्वारा हिंदी के प्रयोग को नियमित रूप से बढ़ावा देती है। यह सेल संयंत्रों और यूनिटों में राजभाषा के बृहत्तर प्रयोग और सेल द्वारा मीडिया और अपने सोशल मीडिया में भी प्रयोग से झलकता है। इसके लिए मैं सेल अध्यक्ष के नेतृत्व और उनकी टीम को बधाई देता हूँ“। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने ‘10 प्र’ – प्रेरणा, प्रोत्साहन, प्रेम, पुरस्कार, प्रशिक्षण, प्रयोग, प्रचार, प्रसार, प्रबंधन और प्रयास के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये राजभाषा के प्रचार को और आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं।
इस्पात सचिव पी के त्रिपाठी ने संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों को राजभाषा के प्रचार में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि “इस तरह के कार्यक्रम हमारे रोजमर्रा के कार्यों में हिंदी के उपयोग हेतु रचनात्मक वातावरण बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। आज के कार्यक्रम में साझा किये गए विचार राजभाषा के प्रयोग में एक सकारात्मक प्रभाव पैदा करने की दिशा में प्रभावी होंगे”।