रायपुर (IP News). मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली के अवसर पर अपने निवास में आयोजित सांस्कृतिक समारोह के दौरान सपरिवार रहचुल (रहचुली) का आनंद लिया। वे गेड़ी भी चढ़े और पर्व से जुड़ी विभिन्न तरह की परंपराओं का निर्वहन किया।
बांस गीत की स्वरलहरियां गूंजी
छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों, लोक नर्तकों, लोक गायकों ने पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्रों एवं साज सज्जा के साथ प्रस्तुति दी। हरेली के दिन मुख्यमंत्री निवास में बांस गीत भी गूंजा। गरियाबंद जिले से बांस गीत कलाकारों को विशेष तौर पर बुलाया गया है। बांस गीत की प्रस्तुति लत्ती यादव और साथी कलाकार ने दी। छत्तीसगढ़ की परम्परा के अनुरूप हरेली पर्व पर घर के पशुओं गाय, बैल को निरोगी रखने के लिए जड़ी-बूटी के साथ लोंदी खिलाई जाती है। हरेली के दिन घरों में गुलगुला भजिया और गुरहा चील विशेष रूप से तैयार किया जाता है। यादव समाज के लोग इस दिन गांव में घूम कर घरों में लोगों को बीमारियों से रक्षा के लिए घरों के दरवाजे पर नीम की डाली लगाते हैं। लोहार समाज के लोग अनेक प्रकार के कृषि यंत्र बनाते हैं। गांव की जरूरत के मुताबिक कृषि में उपयोग में आने वाले यंत्र इनके द्वारा ही बनाए जाते हैं। लोक और सामाजिक परम्परा के अनुरूप लोहार समाज के लोग अनिष्ट से रक्षा के लिए घरों में कील ठोंकते हैं।