एसबीआई के इस स्कीम के तहत अगर घर खरीदने वालों को निर्धारित समय पर मकान का पजेशन नहीं मिल पाता है तो बैंक ग्राहक को पूरा प्रिंसिपल अमाउंट लौटा देगा। यह स्कीम तबतक मान्य होगी जब तक कि बिल्डर को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने बताया कि यह स्कीम सुस्त पड़े रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम करेगी और खरीदारों को भी आत्मविश्वास देगी।
उन्होंने कहा यदि बिल्डर रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम के तहत समय सीमा को पूरा करने में विफल रहता है तो होम लोन खरीदारों को रिफंड उसी दर पर मिलेगा जिस दर पर उन्होंने लोन ले रखा था। दिलचस्प बात ये है कि बिल्डर लोन पर एसबीआई का ज्यादा झुकाव अभी तक नहीं था। एसबीआई के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि SBI द्वारा आवासीय और कमर्शियल अचल संपत्ति ऋणों का कुल एक्सपोजर 5,000 करोड़ से कम होगा। जो कि सितंबर तिमाही में इसका 22.48 ट्रिलियन लोनबुक का लगभग 0.2% है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य क्षेत्रों की तुलना में कमर्शियल रियल एस्टेट को हमेशा जोखिम भरे संबंध के रूप में देखा है। इसीलिए इन ऋणों के लिए बैंकों को मानक धन प्रावधान के रूप में 0.75-1% के बीच अधिक धनराशि निर्धारित करने का आदेश दिया गया है। आमतौर पर, बैंकों को लोन का 0.4% अन्य ऋणों के प्रावधान के रूप में निर्धारित करना पड़ता है।
एसबीआई ने बुधवार को कहा कि उसकी योजना शुरू में सात भारतीय भौगोलिक क्षेत्रों में 2.5 करोड़ तक के घर की कीमत के साथ किफायती आवास पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसे बाद में 10 शहरों में लाया जाएगा। इसमें बैंक के शर्तों का पालन करने वाले बिल्डर को भी 50 करोड़ रुपये से लेकर 400 करोड़ रुपये तक का लोन मिल सकता है।