फ्यूचर सेविंग्स के लिए हर कोई ऐसे निवेश विकल्प तलाशता हैं, जहां रिटर्न अच्छा हो और पैसा भी सेफ रहे। ऐसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है डाकघर की NSC यानी नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट। नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (National Savings Certificate) भारत सरकार की एक पहल है। यह एक फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट स्कीम है। साल 2020 में जब पीएम मोदी सहित केंद्रीय मंत्री परिषद ने अपने एसेट की घोघणा की थी, उस वक्त बताया गया था कि डाकघर NSC में पीएम मोदी के 843124 रुपये निवेश हैं। आइए जानते हैं NSC के फीचर्स के बारे में…
डाकघर NSC का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल और मौजूदा ब्याज दर 6.8 फीसदी सालाना है। ऐसे में अगर आप इसमें 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं तो 5 साल पूरे होने के बाद आपको जो मैच्योरिटी अमाउंट मिलेगा, वह होगा 2,08,424 रुपये। NSC पर ब्याज की कंपाउंडिंग सालाना आधार पर होती है, लेकिन ब्याज का पैसा मैच्योरिटी पर ही मिलता है। NSC में मिनिमम 1000 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है। निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
कौन कर सकता है निवेश
कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी डाकघर से नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट ले सकता है। NSC को सिंगल या ज्वॉइंट में, 10 साल से अधिक उम्र के नाबालिग द्वारा, नाबालिग के नाम पर वयस्क द्वारा, दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति के नाम पर उसके अभिभावक द्वारा खरीदा जा सकता है। इसे पासबुक के रूप में जारी किया जाता है। नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट का मौजूदा इश्यू, VIII इश्यू है। स्कीम के तहत कितने ही अकाउंट खोले जा सकते हैं।
NSC में ये लोग नहीं कर सकते निवेश
- हिंदू अनडिवाइडेड फैमिलीज (HUFs)
- ट्रस्ट्स
- प्राइवेट व पब्लिक लिमिटेड कंपनियां
- अनिवासी भारतीय
प्रीमैच्योर क्लोजर कब
वैसे तो NSC (राष्ट्रीय बचत पत्र) को 5 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले भुनाने की अनुमति नहीं है, लेकिन एकल खाता धारक की मौत होने, संयुक्त खाते के मामले में एकल या सभी खाताधारकों की मृत्यु पर पर ऐसा किया जा सकता है। इसके अलावा राजपत्रित अधिकारी द्वारा जब्ती, न्यायालय द्वारा आदेश देने पर भी एनएससी के प्रीमैच्योर इनकैशमेंट की अनुमति है।
टैक्स छूट व अन्य फीचर्स
- NSC केवल डाकघर से मिलती है।
- NSC में निवेश किए गए पैसे पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
- NSC को, जारी होने से लेकर मैच्योरिटी डेट के बीच एक बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर किया जा सकता है।
- NSC ट्रांसफर करते वक्त पुराने सर्टिफिकेट डिस्चार्ज नहीं होते हैं, बल्कि उसी सर्टिफिकेट पर और परचेज एप्लीकेशन (नॉन CBS पोस्ट ऑफिस के मामले में) पर नए धारक का नाम लिख दिया जाता है। इस दौरान अधिकृत पोस्टमास्टर के उस दिन की तारीख के साथ हस्ताक्षर होते हैं, उसकी मुहर लगती है और पोस्ट ऑफिस की दिनांक मुहर लगती है।
NSC को इन हालात में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर किया जा सकता है….
(i) खाताधारक की मृत्यु पर नॉमिनी/कानूनी उत्तराधिकारी के नाम पर
(ii) खाताधारक की मृत्यु पर संयुक्त धारक/धारकों के नाम पर
(ii) न्यायालय द्वारा आदेश पर
(iii) निर्दिष्ट प्राधिकारी को खाते गिरवी/बंधक रखने पर
NSC को सिक्योरिटी के तौर पर इन अधिकारियों को गिरवी भी रखा जा सकता है ….
- भारत के राष्ट्रपति/राज्य के राज्यपाल
- RBI/अनुसूचित बैंक/सहकारी समिति/सहकारी बैंक
- निगम (सार्वजनिक/निजी)/ सरकारी कंपनी/स्थानीय प्राधिकरण
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनी
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