नई दिल्ली, 27 जनवरी। लोक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises) द्वारा कोयला कामगारों के लिए तय किए गए 19 फीसदी एमजीबी को लागू करने नियमों को शिथिल किया जाएगा या नहीं इसको संशय की स्थिति बनी हुई है। दरअसल के पूरा मामला डीपीई के कार्यालय ज्ञापन 24.11.2017 के निहित प्रावधानों के कारण लटक गया है।

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यहां बताना होगा कि 3 जनवरी, 2023 को जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक में 19 फीसदी न्यूनतम गारंटीड लाभ (MGB) देने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। कोल इंडिया प्रबंधन ने कोल मंत्रालय को इस हेतु सिफारिश भेजी। कोल मंत्रालय ने 10 जनवरी को 19 फीसदी एमजीबी पर स्वीकृति प्रदान करने डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस (डीपीई) को प्रस्ताव प्रेषित किया। डीपीई की छूट के बगैर एमजीबी पर सहमति बना बनाई है और यही कारण है कि अब तक इसे लागू करने के लिए हरी झण्डी नहीं मिली है।

सूत्रों की मानें तो लोक उद्यम विभाग 19 फीसदी एमजीबी के लिए सहमत नहीं है। कहा जा रहा है कि डीपीई ने यदि इसके लिए सहमति दी तो दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों से भी इसी तरह की आवाज उठेगी। दूसरा यह कि डीपीई सीधे वित्त मंत्रालय के अधीन है। ऐसे में कोयला मंत्रालय डीपीई को निर्देश नहीं दे सकता है। इसके पहले कई बार ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं, जहां डीपीई ने कोल सेक्रेटरी रहे अनिल जैन जैसे लोगों की बात नहीं सुनी थी।

हालांकि कोयला मंत्रालय ने अपने संयुक्त सचिव भबानी प्रसाद पति को मामले को लेकर डीपीई के साथ लाइजिनिंग के लिए लगा रखा है, लेकिन अब कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि ज्वाइंट कोल सेक्रेटरी (JCS) डीपीई के सामने कमजोर पड़ रहे हैं।

बहरहाल कोयला कामगारों को इसका बेसब्री से इंतजार है कि कब डीपीई 19 फीसदी एमजीबी को लागू करने अपनी मंजूरी देगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

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लोक उद्यम विभाग के बारे में

अपनी 52वीं रिपोर्ट में, तीसरी लोक सभा (1962-67) की प्राक्कलन समिति ने एक केन्द्रीकृत समन्वय यूनिट के गठन की जरूरत पर बल दिया जो लोक उद्यमों की निष्पादकता का निरन्तर मूल्यांकन भी कर सके। इसके फलस्वरूप, वित्त मंत्रालय में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (बीपीई ) की वर्ष 1965 में स्थापना की गई। तदनुपरांत, सितम्बर 1985 में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों /विभागों का पुनर्गठन होने पर, बीपीई को उद्योग मंत्रालय का हिस्सा बना दिया गया। मई 1990 में, बीपीई को एक पूर्ण विभाग बना दिया गया और अब इस विभाग का नाम ’लोक उद्यम विभाग’ (डीपीई) है। वर्तमान में, यह वित्त मंत्रालय का हिस्सा है।

लोक उद्यम विभाग सभी केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसईज़) का नोडल विभाग है और सीपीएसई से संबंधित नीतियां तैयार करता है। यह विशेष रूप से, सीपीएसईज़ में निष्पादकता के सुधार एवं मूल्यांकन, स्वायत्तता तथा वित्तीय शक्तियों के प्रत्यायोजन और कार्मिक प्रबंधन के बारे में नीतिगत दिशानिर्देश तैयार करता है। इसके अलावा यह केन्द्रीय सरकारी उद्यमों से संबंधित बहुत से क्षेत्रों के संबंध में सूचना भी एकत्र करता है और उसका रखरखाव करता है।

 

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