श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (एमओएलई) की सचिव और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (esic) की आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) उप-समिति की अध्यक्ष सुमिता डावरा ने नई दिल्ली स्थित ईएसआईसी मुख्यालय में आयोजित उप-समिति की 20वीं बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि आयुष चिकित्सा पद्धतियां पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही हैं। चिकित्सा की इन अलग-अलग पद्धतियों की शक्ति रोग की रोकथाम, स्वास्थ्य और प्रबंधन के लिए उनके अनूठे तौर-तरीकों में निहित है। आयुष पद्धतियां ईएसआई लाभार्थियों के समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव की अध्यक्षता में उप-समिति की 20वीं बैठक आयुष-2023 पर नई ईएसआई नीति के कार्यान्वयन पर केंद्रित रही। चर्चा किए गए अन्य मामलों में उप-समिति की 19वीं बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि; तथा उप समिति की पिछली बैठक की कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट शामिल थी। नई आयुष नीति के क्रियान्वयन से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को विचार-विमर्श और ध्यान में रखे जाने के लिए समिति के समक्ष रखा गया।
श्रीमती डावरा ने निर्देश दिया कि ईएसआई लाभार्थियों के हितों में नीति के त्वरित, निर्बाध और सार्थक कार्यान्वयन के लिए सभी संभव उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने दोहराया कि यह नई नीति ईएसआई निगम द्वारा प्रदान की जा रही आयुष सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।
अध्यक्ष ने यह भी दोहराया कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के विकास को बढ़ावा देना और आयुष प्रणालियों एवं एलोपैथी के बीच सहयोग को बढ़ाना ज़रूरी है। बीमित व्यक्तियों (आईपी) और उनके परिवारों की स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक सुसंगत और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
आयुष पर ईएसआई नीति-2023: मुख्य विशेषताएं
इस नीति में ईएसआईएस/ईएसआईसी में आयुष ओपीडी सेवाओं की स्थापना के लिए मानदंड प्रदान किए गए हैं। पिछली आयुष नीतियों के अनुसार, आयुष ओपीडी सेवाओं को अंशकालिक डॉक्टरों और कर्मचारियों के माध्यम से चलाने का प्रावधान था, जबकि नई नीति के अनुसार समय के साथ उन्हें नियमित पूर्णकालिक कर्मचारियों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। इससे कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और देखभाल की गुणवत्ता में स्पष्ट रूप से वृद्धि होगी।
नीति के अनुसार, 500 बिस्तरों वाले एलोपैथिक अस्पतालों में 50 बिस्तरों वाले आयुष अस्पतालों की व्यवस्था करके आंतरिक (इनडोर) आयुर्वेद उपचार का प्रावधान है। यहां ओपीडी सेवाओं के अलावा, अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों को पांच विशेषताओं के तहत गुणवत्तापूर्ण उपचार मिलेगा, जिसमें काया चिकित्सा (सामान्य चिकित्सा), पंचकर्म (बायोप्यूरिफ़िकेटरी मेडिसिन), शल्य (सर्जरी), शालाक्य (नेत्र रोग और ईएनटी) और प्रसूति एवं स्त्री रोग शामिल हैं, जो आवश्यक स्नातकोत्तर योग्यता वाले आयुर्वेद चिकित्सकों की देखरेख में उपलब्ध हैं। इससे ईएसआई लाभार्थियों को प्रदान की जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता में काफी वृद्धि होगी।
इससे पहले, ईएसआई संस्थानों में योग इकाइयों का संचालन योग प्रशिक्षकों द्वारा किया जाता था। नई नीति के अनुसार, योग चिकित्सा इकाइयों का संचालन उच्च स्तर की योग्यता और अनुभव वाले योग चिकित्सकों द्वारा किया जाएगा। इससे बीमित व्यक्तियों (आईपी) और आश्रितों को ईएसआई संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण योग चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिल सकेगा।
पंचकर्म अनिवार्य रूप से एक ऐसी विधि है जिसका उद्देश्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर और बीमारियों के दोबारा होने की संभावना को कम करके शरीर के विषैले तत्वों को खत्म करना है। क्षार-सूत्र थेरेपी गुदा-मलाशय विकारों के प्रबंधन में समय-परीक्षित, सुनिश्चित, सुरक्षित और किफायती विधि है। ईएसआई लाभार्थियों के लिए इन सेवाओं को मजबूत करने में सक्षम बनाने के लिए इस आयुष नीति में इन उपचारों के लिए पंचकर्म और क्षार-सूत्र दोनों यूनिट की स्थापना के मानदंड निर्धारित किए गए हैं।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की नीति के अनुसार आधुनिक चिकित्सा और आयुष चिकित्सा पद्धति दोनों के माध्यम से चिकित्सा देखभाल सेवाएं प्रदान कर रहा है। ईएसआई निगम ने पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से आयुष सुविधाओं के विकास की सुविधा प्रदान की है।
वर्तमान में, ईएसआई देश भर में विभिन्न स्थानों पर कुल 406 आयुष यूनिट चला रहा है। इनमें 185 आयुर्वेद यूनिट, 91 होम्योपैथी यूनिट, 67 योग यूनिट, 52 सिद्ध यूनिट और 11 यूनानी यूनिट शामिल हैं। वर्ष 2023-24 के दौरान इन यूनिटों में कुल 26,68,816 मरीज़ आए।
इस बैठक में ईएसआईसी के महानिदेशक श्री अशोक कुमार सिंह और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रूपेश कुमार ठाकुर ने भाग लिया। इस अवसर पर कर्मचारी संघों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, चिकित्सा पेशेवर और ईएसआईसी के अधिकारी भी मौजूद रहे।