नई दिल्ली, 15 नवम्बर। जेबीसीसीआई सदस्य सुधीर घुरडे ने कहा कि बीएमएस को यह कतई पसंद नहीं है कि जेबीसीसीआई जैसी महत्त्वपूर्ण बैठक केवल खानापूर्ति के लिए आयोजित हो। इस तरह के रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक का परिणाम निकलना चाहिए।
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industrialpunch.com से चर्चा करते हुए अखिल भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के महामंत्री श्री घुरडे ने बताया कि सीआईएल के अधिकारी बगैर तैयारी के जेबीसीसीआई- XI की द्वितीय बैठक में उपस्थित हुए थे। सीआईएल चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल का कहना था कि 50 प्रतिशत वेतन वृद्धि को लेकर उन्होंने कोई गुणाभाग नहीं किया है। उनके हिसाब से 50 फीसदी का आंकड़ा कहीं नहीं बैठता है। बीएमएस नेता ने कहा कि प्रबंधन को कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड जून में ही सौंप दिया गया था, इसके बावजूद प्रबंधन तैयारी के साथ नहीं आया।
श्री घुरडे ने बताया कि प्रबंधन ने यूनियन के समक्ष 10 साल के वेतन समझौते का प्रस्ताव रखा, जिसे खारिज कर दिया गया। प्रबंधन का कहना था कि दूसरे सेक्टर में 10 वर्षों के लिए वेतन समझौता हो रहा है, कोल सेक्टर में क्यों नहीं हो सकता। प्रबंधन एमजीबी, सोशल सिक्योरिटी, वेलफेयर आदि के लिए अलग- अलग समितियां बनाना चाह रहा है। इस पर भी यूनियन ने असहमति जताई।
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सुधीर घुरडे ने कहा कि प्रबंधन की मंशा इस तरह की समितियां गठित कर इसमें अलग- अलग लोगों का सम्मिलित करने की है ताकि उन पर दबाव डालकर अपनी बात मनवा सके। बीएमएस नेता ने कहा कि वेतन समझौता जितने कम समय का होगा, कामगारों को उतना लाभ मिलेगा। जब कामगारों को बेहतर लाभ मिलेगा तो वे पूरी मेहनत और लगन के साथ उत्पादन में जुटेंगे। इससे कंपनी को भी फायदा होगा। श्री घुरडे ने बताया कि जेबीसीसीआई की कम समय की बैठक को लेकर भी बीएमएस ने आपत्ति जताई है।
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