मुंबई. अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड की डिलिस्टिंग की घोषणा के बाद अब अदानी पावर ने भी डीलिस्टिंग की घोषणा कर दी है। इस महीने में डीलिस्ट की घोषणा करनेवाली यह दूसरी कंपनी है। दरअसल इस समय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव है। शेयरों की कीमतें आधी हो गई हैं। ऐसे में प्रमोटर्स सस्ते शेयर खरीद कर कंपनी पर पूरा कब्जा जमाने की तैयारी कर रहे हैं। निवेशकों को घाटा देकर प्रमोटर्स यह फायदा उठा रहे हैं। वेदांता ने 12 मई को अपने शेयर को डिलिस्ट करने का प्रस्ताव रखा था।

3 जून को अदानी पावर ने बुलाई है बोर्ड मीटिंग

अदानी पावर ने 3 जून को बोर्ड मीटिंग बुलाई है। गौतम अदानी की इस कंपनी का शेयर नवंबर में 52 हफ्ते के उच्च स्तर से 50 प्रतिशत टूट चुका है। पहले से ही घाटा झेल रहे निवेशकों को डिलिस्टिंग से भी घाटा होगा। अदानी समूह की यह कंपनी 2009 में सूचीबद्ध हुई थी। 2015 में अदानी इंटरप्राइज ने पोर्ट व पावर बिजनेस को अदानी पोर्ट और एसईजेड तथा अदानी पावर को एक साथ विलय करने की घोषणा की थी। इसके बाद ट्रांसमिशन बिजनेस को अलग से लिस्ट कराया गया। हालांकि अदानी पावर में पहले से ही प्रमोटर का 75 प्रतिशत के करीब नियंत्रण है। इसलिए कुछ विश्लेषक इसे डिलिस्ट कराने की योजना को गलत मान रहे हैं।

देश के 6 राज्यों में फैली है कंपनी 

कंपनी ने एनएसई और बीएसई को दी सूचना में कहा है कि वह अदानी पावर को डीलिस्ट करने के लिए बोर्ड की मीटिंग बुलाई है। अदानी पावर इस डीलिस्ट में शेयरों को बायबैक करेगी। कंपनी की पावर जनरेशन की क्षमता 12,410 मेगावट है। यह भारत के 6 राज्यों में फैली है। कंपनी का शेयर नवंबर में एक साल के उच्च स्तर 73.75 रुपए पर था। यह टूटकर इस समय 36.40 रुपए पर कारोबार कर रहा है।

डीलिस्ट की योजना कंपनी की रणनीति के अनुसार है

कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को भेजी जानकारी में कहा है कि प्रस्तावित डीलिस्टिंग प्रक्रिया से कंपनी की ऑपरेशनल, फाइनेंशियल और स्ट्रेटेजिक फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ेगी। साथ ही कॉर्पोरेट रिस्ट्रक्चरिंग, अधिग्रहण और नए फाइनेंसिंग स्ट्रक्चर की क्षमता बढ़ेगी। डीलिस्टिंग का उद्देश्य यह है कि कंपनी के प्रमोटर ग्रुप पूरा मालिकाना हक पाना चाहते हैं। इससे ऑपरेशनल फ्लैक्सिबिलिटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। कंपनी ने कहा कि डीलिस्ट की योजना हमारी रणनीति के अनुसार है। हमारी रणनीति नए क्षेत्रों में और नए बिजनेस की गतिविधियों में विस्तार की है जहां रिस्क प्रोफाइल अलग हो सकती है।

इस समय अधिकतर कंपनियों के शेयर सस्ते में कारोबार कर रहे हैं 

कंपनी ने कहा कि हमारा मानना है कि डीलिस्टिंग प्रस्ताव शेयरधारकों के हित में है। क्योंकि यह शेयरधारकों को सेबी के नियमों के अनुसार कंपनी से निकलने का अवसर प्रदान करेगी, जिसमें बाजार के उतार-चढ़ाव के माहौल में तुरंत लिक्विडिटी प्राप्त होगी। बता दें कि तमाम कंपनियों के मूल्यांकन में हाल में काफी गिरावट आई है। इस कारण प्रमोटर्स सस्ते में शेयरों को खरीद कर उस पर अपनी पूरी ओनरशिप को लागू करना चाहते हैं। हालांकि यह सिस्टम पूरी तरह से निवेशकों के लिए घाटे का है।

10 साल में 70 प्रतिशत का घाटा दिया अदानी पावर के शेयर ने

उदाहरण के तौर पर अगर किसी ने नवंबर में अदानी पावर का शेयर 74 रुपए पर खरीदा होगा तो उसे आज के हिसाब से डीलिस्ट करने पर 50 प्रतिशत का घाटा महज 8 महीने में होगा। ऐसे में अगर किसी कंपनी के शेयर बुरी तरह पिटे हैं और प्रमोटर्स उस कंपनी को डिलिस्ट करना चाहता है तो निश्चित तौर पर इसकी कीमत निवेशकों को ही चुकानी होती है। अदानी पावर हालांकि निवेशकों को लगातार घाटा देती रही है। इस साल में अब तक इसके शेयर ने 41 प्रतिशत का घाटा दिया है। जबकि 10 साल में इसने 70 प्रतिशत का घाटा दिया है।

कंपनी में प्रमुख निवेशकों में एलआईसी की होल्डिंग 1.53 प्रतिशत, एलारा इंडिया की 3.02 प्रतिशत, क्रेस्टा फंड की 1.23 और ओपेल इनवेस्टमेंट की 5.52 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

 

 

source : Dainik Bhaskar

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