कोलकोता। कोयला उत्पादन में जमीन की समस्या दूर करने के लिए कोल इंडिया अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत किसानों से अब सरकारी दर की बजाय मार्केट रेट पर जमीन का मोलभाव किया जाएगा। इस प्रकार किसानों को दोगुना से ज्यादा कीमत जमीन मिल सकेगी। अभी तक सौदा मंदा रहने की वजह से किसान जमीन देने में आनाकानी करते हैं, जिसके चलते 200 से अधिक परियोजनाओं का श्रीगणेश नहीं हो सका है। पॉलिसी पर कोयला मंत्रालय नजर बनाए हुए है, इसके जल्द जारी होने की संभावना है।

कोल इंडिया ने पुनर्वास नीति (आरएनआर) में बदलाव करने के लिए कोयला कंपनियों से ड्राफ्ट मांगा है। ताकि इसको और बेहतर किया जा सके। 2012 -13 के बाद इसमें संशोधन किया जा रहा है। मौजूदा समय में कोयला कंपनियों में 2 एकड़ जमीन पर नौकरी सहित जमीन का दाम सहित शिफ्टिंग का राशि मिलती है। अब मार्केट रेट पर जमीन के दाम सहित अन्य सुविधा देना का विचार है। नई पॉलिसी के तहत विस्थापितों को अधिक सुविधा मिले इस पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मौजूदा समय में अवैध कब्ज धारी के शिफ्टिंग की दर में बढ़ोतरी कर दी गई है।

450 मिलियन अतिरिक्त उत्पादन के लिए नीति में बदलाव जरूरी :

कोल इंडिया को अगले पांच साल में 450 मिलियन कोयले की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए जमीन की आवश्यकता है। करीब 60 नए प्रोजेक्ट के साथ 193 परियोजनाओं का विस्तारीकरण करने में जमीन अधिग्रहण की समस्या बाधक बन रही है। इसमें बदलाव कर ही किसानों को खुश किया जा सकता है।

नौकरी नहीं तो पैसा अधिक देना पर भी जोर :

प्रबंधन कई पावर प्लांट कंपनियों के आरएनआर स्कीम का भी अध्ययन कर रही है। नौकरी नहीं लेने पर पैसा अधिक देने को लेकर भी विचार किया जा रहा है। चूंकि, कई जगहों पर लोग नौकरी नहीं लेना चाहते हैं और मुआवजा की राशि कम मिलने से जमीन मिलने में दिक्कत होती है।

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