कोरबा (IP News).  गलवान घाटी में हिंसक झड़प में देश के 20 जवानों के शहीद होने के बाद से चीन पूरे भारत के निशाने पर है। भारत की सेना मुंहतोड़ जवाब देने तैयार है। चीन को व्यवसायिक तौर पर चोट पहुंचाने का भी सिलसिला चल रहा है। इधर, देश में विद्युत एक ऐसा क्षेत्र है जहां चीनी कंपनियों की खासी दखल है। निजी क्षेत्र की ज्यादातर विद्युत उत्पादक कंपनियां के संयंत्रों में मुख्य उपकरण चीन के हैं। छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिए निजी कंपनियों के साथ बड़ी संख्या में एमओयू किए गए। संयंत्र स्थापित करने चीन की कंपनियों को ठेक दिया गया। एक जानकारी के अनुसार करीब 70 हजार करोड़ रुपए का ठेका चीनी कंपनियों को मिला था। वर्तमान में छह कंपनियोे से 6260 मेेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इन कंपनियों के मुख्य उपकरण चीन के हैं।

वर्तमान में चीनी तकनीक से प्रचालन वाले निजी संयंत्र व उनकी क्षमता:

  • आरकेएम पाॅवरजेन लिमिटेड उचपिंडा : 1440 MW
  • एसकेएस पाॅवरजेन लिमिटेड बिजंकोट : 600 MW
  • केएसके महानदी पाॅवर कं. लि. अकलतरा : 1800 MW
  • टीआरएन इनर्जी नवापारा : 600 MW
  • भारत एल्यूमिनियम कं. लि. बालको : 1200 MW
  • एसीबी इंडिया लिमिटेड बांधाखार : 300 MW
  • एसीबी इंडिया लिमिटेड कसाईपाली : 270 MW
  • एसीबी इंडिया लिमिटेड रतिजा : 50 MW

संयंत्र के प्रचालन में आ जाने के बाद भी चीन से मंगाने पड़े हैं कई उपकरण

बताया गया है कि कम लागत और समय पर काम के कारण देश की निजी कंपनियां चीन की तरफ भागती हैं। बायलर सहित कई महत्वपूर्ण उपकरण चीन से मंगाए जाते हैं। एक निजी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि संयंत्र के प्रचालन मेें आ जाने के बाद भी ऐसे कई उपकरण हैं जिनकी आवयकता पड़ती है और इन्हें चीन से मंगाना पड़ता है। अधिकारी ने बताया कि अब देश में ही ऐसे उपकरण उपलब्ध हों, इसकी ओर सरकार को ध्यान देना होगा।

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