कोरबा (IP News). श्रम सुधार के नाम पर देश भर मे समान वेतन नियम लागू करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने बहुचर्चित’वेज कोड बिल’ रूल्स के ड्राफ्ट को गजट में प्रकाशित करते हुए इसे 7 जुलाई, 2020 को पब्लिक डोमेन में रखा है। जो कि 45 दिनों बाद पूरे देश मे लागू हो जाएगा। वेज कोड बिल के लागू होते ही मजदूरों के लिए वर्तमान में लागू न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम 1936, बोनस भुगतान अधिनियम 1965 तथा समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 समाप्त हो जाएगा।
इस संबंध मे एटक नेता दीपेश मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरे देश मे ” समान वेतन ” का सपना दिखाकर मजदूरों के हित मे बने चार अहम कानून को चालाकी से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि अभी मजदूरों का न्यूनतम वेतन त्रिपक्षीय कमेटी, जिसमें ट्रेड यूनियन, कॉरपोरेट्स तथा सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, के माध्यम से निर्धारित होता है। अब मजदूरों का पक्ष जाने बिना एकतरफा ‘फ्लोर वेज’ ( न्यूनतम वेतन) तय कर दिया जाएगा, जिसे हर हाल में मजदूरों को मानना होगा।
इसी तरह केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित ड्राफ्ट रूल्स में हर पांच साल मे न्यूनतम वेतन संशोधन की बात की गई है, जबकि वर्तमान कानूनी ढांचे के तहत ‘फ्लोर वेज’ (न्यूनतम वेतन) को हर दो साल में संशोधित किया जाना है। इसी तरह वेज कोड बिल में मजदूरों के कार्य दिवस का गठन करने वाले घंटों की संख्या 8 से बढ़ाकर 9 घंटे कर दी गई, जो कि अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों में उल्लेखित 8 घंटे कार्य दिवस के खिलाफ है।
दीपेश मिश्रा ने कहा कि सरकार द्वारा लाए जा रहे वेज कोड बिल पूरी तरह मजदूरों के हितों के खिलाफ है। भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर देश के सभी श्रम संगठनों ने वेज कोड बिल का विरोध किया है।