कोरबा (IP News). क्या वन अधिकार पत्रक (IFR) यानी पट्टे पर दी गई जमीन की खरीदी की जा सकी है? नियमतः नहीं, लेकिन अदानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने यह कर दिखाया है। मामला छत्तीसगढ़ के सरगुजा के उदयपुर तहसील क्षेत्र का है। अदानी द्वारा इस क्षेत्र में स्थित परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक का संचालन किया जा रहा है। अदानी प्रबंधन ने स्थानीय आदिवासियों को वन अधिकार पत्रक के तहत पट्टे पर मिली भूमि की खरीदी की है। 15 ऐसे मामले सामने आए हैं। जो दस्तावेज मिले हैं, इसके अनुसार जमीन की खरीदी सितम्बर 2019 में की गई है। यह कार्य शपथ पत्र के जरिए किया गया है। पट्टाधारक को भुगतान की पावती भी प्रदान की गई।
सरकार ने वन अधिकार पत्र परंपरागत वन निवासियों को दिया है। नियमतः इसकी बिक्री नहीं की जा सकती। कोल ब्लाॅक के लिए विधिवत रूप से जमीन का अधिग्रहण हुआ है। इसके बावजूद कोल ब्लाॅक का संचालन कर रही कंपनी अदानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने IFR वाली जमीन की खरीदी किस मकसद से की है, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रक की खरीदी गैरकानूनी हैं। वन अधिकार पत्रक प्राप्त जमीन की बिक्री के लिए शपथ तैयार कर नोटरी किया जाना भी गलत है। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। जांच के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
यहां बताना होगा कि परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (RRVUNL) को आबंटित है। कोल ब्लाॅक का एमडीओ यानी खदान के विकास व आॅपरशेन का अधिकार अदानी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के पास है। इधर, बताया गया है कि जब भी कोई गड़बड़ी के मामले सामने आते हैं अदानी प्रबंधन द्वारा यह कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि खदान RRVUNL की है। जानकारी के अनुसार 2300 एकड़ क्षेत्रफल वाली कोल ब्लाॅक का विकास दो चरण में किया जा रहा है। हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक का आबंटन रद्द करने को लेकर भी निरंतर आवज बुलंद की जा रही है।