पटना हर हीरो 6 या 8 पैक ऐब्स वाला ही नहीं होता। हर हीरो जवान और गोरा ही नहीं होता। असली हीरो अक्सर टीवी पर नहीं आता। आपके और हमारे बीच में चुपचाप अपना काम करता रहता है और एक दिन बड़ा फर्क पैदा कर किनारे खड़ा मुस्कुराता नजर आता है। जैसे इस फोटो में 70 साल का यह बुजुर्ग लौंगी भुइयां मुस्कुरा रहे हैं। सीने की पसलियां साफ दिख रही हैं लेकिन फावड़ा उठाए इन हाथों की मछलियां आज भी मचल रही हैं। आज आपको बिहार के इस असली हीरो की कहानी बताते हैं। वह कहानी, जिसका किरदार पर्दे पर निभाने के लिए भी लोगों को इतना वक्त फावड़ा उठाना पड़ जाए कि हाथ भर आएं।
बिहार के गया जिले में लुटुआ नाम की एक पंचायत पड़ती है। इसी पंचायत के एक छोटे से गांव कोठिलवा का 70 साल का यह बुजुर्ग जब अपनी 30 साल की मेहनत की कहानी सुनाता है तो सामने वाले की आंखें अचरज से फैल जाती हैं। आज से 3 दशक पहले यानी 1990 के दशक का बिहार। बिहारी सब रोजगार की तलाश में अपने गांवों को छोड़ शहरों की ओर पलायन शुरू कर चुका था। पलायन करने वालों में बड़ी संख्या तो ऐसी थी, जिसे राज्य ही छोड़ना पड़ा थाय़ इसी पलायन करने वालों में लौंगी भुइयां का एक लड़का भी था। करता भी क्या, जीवन के लिए रोजगार तो करना ही था क्योंकि गांव में पानी ही नहीं था तो खेती क्या खाक होती।
आज से तीन दशक पहले जब ये सब हो रहा था तो लौंगी भुइयां बस अपने आसपास से बिछड़ रहे चेहरों को देख रहे थे। एक दिन बकरी चलाते हुए उन्होंने सोचा, अगर खेती मजबूत हो जाए तो अपनी माटी को छोड़कर जा रहे लोगों का जत्था शायद रुक जाए। पर खेती के लिए तो पानी चाहिए था। उस दिन लौंगी भइयां ने जो फावड़ा कंधे पर उठाया, आज तीन दशक बाद जब गांव में पानी आ पहुंचा है तब भी ये फावड़ा उनके कंधे पर ही मौजूद है। हां इतना जरूर है कि गांव तक पानी आ पहुंचा है। 30 साल की अथक मेहनत के बीच यह शख्स बूढ़ा हो गया लेकिन गांव की जवानी को गांव में ही रुकने की व्यवस्था देने में कामयाब जरूर हो गया। इतनी बातों का सार यह है कि लौंगी भइयां अकेले दम पर फावड़े से ही 3 किलोमीटर लंबी नहर खोद पहाड़ी के पानी को गांव तक लेकर चला आया।
एक राजा भगरीथ थे जो धरती पर जीवनदायिनी मां गंगा को उतार लाए थे और एक ये आज के भगीरथ हैं जो बगल की पहाड़ी से जीवन की आस जल को गांव तक खींच लाए। जल संरक्षण का उनका ये प्रयास अब जिम्मेवार अफसरों तक पहुंचा है। वो अफसर आज उनके इस भगीरथ प्रयास की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन ये वही अफसर हैं जो ऐसी पहाड़ियों पर पानी रुकने के लिए चेकडैम बनाते हैं तो लाखों-करोड़ों का वारा न्यारा तो होता पर पानी उन डैम में कभी नहीं रुकता। लौंगी भुइयां हमारे बिहार के हीरो हैं। लौंगी भुइयां को सलाम बनता है।
Bihar: A man has carved out a 3-km-long canal to take rainwater coming down from nearby hills to fields of his village, Kothilawa in Lahthua area of Gaya. Laungi Bhuiyan says, "It took me 30 years to dig this canal which takes the water to a pond in the village." (12.09.2020) pic.twitter.com/gFKffXOd8Y
— ANI (@ANI) September 12, 2020