ओडिशा सरकार ने अपनी तीन बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के निजीकरण की पेशकश की है जिसके लिए टाटा पावर और इंडिया पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने बोली जमा कराई है।
इस साल के आरंभ में पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तरी विद्युत आपूर्ति कंपनियों जिन्हें वेस्को, साउथको और नेस्को के नाम से जाना जाता है के लिए बोली मंगाई गई थी।
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि टाटा पावर ने सभी तीन डिस्कॉम के लिए बोली जमा कराई है जबकि आईपीसीएल ने साउथको और वेस्को के लिए बोली जमा कराई है। इस प्रकार नेशको के लिए बोली लगाने वाली एकमात्र कंपनी टाटा पावर है। ओडिशा विद्युत नियामक आयोग (ओईआरसी) यह बोली आयोजित कर रहा है जिससे संपर्क नहीं हो पाया।
अपनी विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का यह ओडिशा सरकार की ओर से दूसरा प्रयास है। जिन तीन कंपनियों के निजीकरण के लिए दोबारा से पेशकश की गई है वे 1999 में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की बीएसईएस के पास थी। एक दशक की कानूनी खींचतान और प्रदर्शन नहीं करने के बाद ओईआरसी ने 2015 में अनिल अंबानी की कंपनी का वितरण लाइसेंस रद्द कर दिया था।
इसके बाद राज्य सरकार ने कुछ शहरों को फ्रेंचाइजी मॉडल के तहत निजी कंपनियों को दिया था। फीडबैक एनर्जी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (फेडको) इन्फ्रा ओडिशा के चार सर्कलों पुरी, बालूगांव, खुर्दा और नयागढ़ क्षेत्रों में वितरण फ्रेंचाइजी चलाती है। फ्रेंचाइजी मॉडल के तहत स्वामित्व सरकार के हाथ में रहता है। फ्रेंचाइजी प्रभावी रूप से बिल और बिल के संग्रह से राजस्व कमाते हैं। उनका लाभ राजस्व संग्रह पर निर्भर करता है।
टाटा पावर ने हाल ही में ओडिशा में केंद्रीय विद्युत आपूर्ति उपयोगिता (सीईएसयू) के तहत चार सर्कलों के लिए विद्युत वितरण का लाइसेंस हासिल किया था। यह लाइसेंस सीईएसयू क्षेत्र में भुवनेश्वर, कटक, पारादीप और ढेंकनाल के सर्कलों से संबंधित है।
डिस्कॉम कंपनियों के निजीकरण के तहत डिस्कॉम का स्वामित्व भी निजी कंपनियों के पास ही रहेगा। कंपनी बिजली खरीद करती है, बुनियादी ढांचा तैयार करती है, बिल तैयार करती है और उसका संग्रह करती है तथा घाटे को कम करने के लिए पहले से तय लक्ष्य को ध्यान में रखकर कार्य करती है।
दिल्ली और मुंबई में निजी कंपनियों द्वारा चलाए जाने वाले डिस्कॉम हैं। हालांकि इनमें वितरण लाइसेंस की शर्तें ओडिशा से अलग है।
अपनी वार्षिक रिपोर्ट में टाटा पावर ने कहा है कि वह ताप बिजली में कोई नई परियोजना नहीं लगाएगी और न ही पुरानी का विस्तार करेगी और भारतीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विद्युत वितरण कारोबार का विकल्प तलाशेगी तथा पारेषण संपत्तियों का अधिग्रहण करेगी।