नई दिल्ली (IP News). कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस 95) के सभी पेंशनधारकों को पेंशन धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रत्येक वर्ष जीवन प्रमाण पत्र (जेपीपी)/डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (डीएलसी) जमा करने की जरूरत पड़ती है। कोविड-19 महामारी के वर्तमान परिदृश्य में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने ईपीएस पेंशनधारकों को अपने घर से या घर के नज़दीक ही डीएलसी जमा करने के लिए विभिन्न विकल्पों की सुविधा प्रदान की है। इन सभी तरीकों/एजेंसियों के माध्यम से प्रस्तुत जेपीपी भी समान रूप से मान्य होंगे।
ईपीएफओ के 135 क्षेत्रीय कार्यालयों और 117 जिला कार्यालयों के अलावा, ईपीएस पेंशनधारक अब उन बैंक शाखाओं और निकटतम डाकघरों में डीएलसी जमा कर सकते हैं, जहां से वे पेंशन प्राप्त करते हैं। सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के 3.65 लाख से अधिक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क पर भी डीएलसी को प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके अलावा, ईपीएस पेंशनधारक ‘उमंग’ ऐप का उपयोग करके भी डीएलसी जमा कर सकते हैं।
हाल ही में, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) ने पेंशनधारकों के लिए घर से ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) जमा करने की सुविधा शुरू की है। ईपीएस पेंशनधारक अब मामूली शुल्क के भुगतान पर घर से ही डीएलसी सेवा का लाभ उठाने के लिए ऑनलाइन अनुरोध प्रस्तुत कर सकते हैं। निकटतम डाकघर से एक डाकिया पेंशनधारक के घर जाकर डीएलसी तैयार करने की प्रक्रिया पूरी करेगा।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, ईपीएस पेंशनधारक अब अपनी सुविधा के अनुसार, साल में किसी भी समय डीएलसी जमा कर सकते हैं। डीएलसी जमा करने की तारीख से एक वर्ष तक जीवन प्रमाणपत्र मान्य रहेगा। जिन पेंशनधारकों को 2020 में पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जारी किया जा चुका है, उन्हें एक वर्ष पूरा होने तक जेपीपी अपलोड करने की आवश्यकता नहीं है। इससे पहले, सभी ईपीएस पेंशनधारकों को नवंबर महीने में डीएलसी जमा करना आवश्यक होता था। इस कारण डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए पेंशनधारकों को लंबी कतारों और भीड़ जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। ईपीएस ने पेंशनधारकों के हित में यह कदम उठाया है।
कोरोना वायरस से वरिष्ठ नागरिकों को गंभीर बीमारी का जोखिम अधिक है। कोविड -19 महामारी के इस कठिन समय में, पेंशन धनराशि समय पर जारी करने और उनके घर पर ही सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ईपीएफओ अपने पेंशनधारकों के साथ खड़ा है। इन पहलों से लगभग 67 लाख ईपीएस पेंशनधारक लाभान्वित होंगे, जिनमें से लगभग 21 लाख विधवा/ विधुर, बच्चे और अनाथ पेंशनधारक हैं।