कोरबा (आईपी न्यूज)। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय की घोषणा के साथ ही ठंडक भरे वातावरण में सियासी पारा गर्म होगा। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए यह चुनाव जनता के बीच खरा उतरने का काम भी करेगा। इधर, प्रदेश के कुछ नगरीय निकाय क्षेत्र ऐसे हैं जिन्हें हाईप्रोफाइल श्रेणी में रखा जा सकता है। इनमें एक नगर पालिक निगम, कोरबा भी है। वैसे जिले में निगम सहित पांच निकाय क्षेत्र हैं, लेकिन कोरबा निगम पर पूरे प्रदेश की निगाह टिकी रहेगी। इसकी वजह प्रदेश सरकार में कोरबा से दो कद्दावर नेताओं की मौजूदगी है। इनमें डा. चरणदास महंत विधानसभा अध्यक्ष हैं और जयसिंह अग्रवाल प्रदेश के राजस्व मंत्री। कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत की उपस्थिति भी है। 2014 के निकाय चुनाव में जयसिंह अग्रवाल की धर्मपत्नी रेणु ने भाजपा के जोगेश लाम्बा को शिकस्त देकर प्रथम नगारिक का ओहदा हासिल किया था। निगम के सदन में कांग्रेस ने सर्वाधिक पार्षदों को जीता कर बुहमत भी प्राप्त कर लिया था। चुंकि इस दफे महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव नई व्यवस्था के तहत होना है। निर्वाचित पार्षद निगम का मेयर चुनेंगे। ऐसे में चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों दलों को एक- एक वार्ड पर जोर लगाना होगा। यह कहा जा सकता है कि मेयर के सीधे चुनाव की अपेक्षा नई व्यवस्था के जरिए इस पद को हासिल करना थोड़ा कठिन होगा। विधानसभा अध्यक्ष, राजस्व मंत्री और सांसद की प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुड़ेगी। कांग्रेस के लिए एक चुनौती होगी कि सर्वाधिक पार्षदों को जीता कर महापौर पद के साथ निगम की सत्ता पर काबिज हुआ जा सके। भाजपा के पास निगम की सत्ता में वापसी करने का एक अवसर होगा। निगम के पहले, दूसरे और तीसरे कार्यकाल में महापौर भाजपा का रहा है।
नई व्यवस्था ने मेयर के दावेदारों को भेजा वार्डों में
महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर कराए जाने के फैसले से कांग्रेस, भाजपा दोनोें दलों के कई दावेदारों को आघात लगा था। मेयर का पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित है। महापौर के दावेदारों को अब वार्ड पार्षद का चुनाव जीतना होगा। इस वजह से दोनों पार्टियों के कुछ दावेदार तो दौड़ से बाहर हो चुके हैं। जो हैं वे अपने लिए सुरक्षित वार्ड तलाश रहे हैं। इनमें भी कुछेक वार्डों में सक्रिय हो चुके हैं। ऐसे दावेदार इन दिनों कई परोपकार के कार्य में जुटे हैं। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की जी- हुजूरी भी जमकर चल रही है। हालांकि किस वार्ड से कौन चुनाव मैदान पर उतरेगा यह अभी समय के गर्त में है। वार्ड चुनाव के दावेदारों की फेहरिस्त लंबी होती है। लिहाजा राजनीतिक दलों को भी प्रत्याशी चयन के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।