कोरबा (आईपी न्यूज)। छत्तीसगढ़ राज्य के विद्युत संयंत्रों एंव अन्य उद्योगों में कोयले की कमी का मुद्दा विधानसभा में गूंजा। शुक्रवार को लोरमी विधायक और छत्त्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता धरमजीत सिंह ने शून्यकाल में प्रश्न उठाते कहा कि कोल इंडिया हमारी ही धरती से कोयला लेता है फिर हमारे ही प्रदेश के उद्योगों को कोयले की भरपूर आपूर्ति क्यों नहीं हो रही है। श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश का राजस्व बढ़ाने, औद्योगीकरण और रोजगार सृजन के नजरिए से यह जरूरी है कि यहां को उद्योगों को कोयले की पूरी आपूर्ति की जाए। श्री सिंह ने तो यह भी कहा कि कोल इंडिया को हम फारेस्ट क्लीयरेंस देते हैं, अपनी जमीन देते हैं। ऐसे में वे जमींदार नहीं बन सकते। ये हमारे अधीनस्थ हैं। श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि प्रदेश सरकार कोल इंडिया के एमडी को बुलाकर उन्हें छत्तीसगढ़ के उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर कोयला आपूर्ति की बात कहें।
आंकड़ों के साथ रखी बात, कहा- कोयले की कमी से उद्योगों का कामकाज हो रहा प्रभावित
श्री सिंह ने बताया कि देश के कुल कोयला भंडार का 18 प्रतिशत हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) का वार्षिक उत्पादन लक्ष्य 165 मिलियन टन है और देश के कुल कोयला उत्पादन का 25 प्रतिशत राज्य में उत्पादन किया जाता है। ऊर्जा उपलब्धता के लिहाज से अग्रणी राज्य के रूप में बड़े पैमाने पर निवेशकों ने छत्तीसगढ़ में निवेश किया है। वर्तमान में लगभग 200 उद्योग कार्यशील हैं। इन उद्योगों ने लगभग 4000 मेगावॉट के कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित किए हैं। यहां से उत्पन्न होने वाली बिजली देश के अलग-अलग क्षेत्रों में वितरित की जाती है जिससे देश में उद्योगों के विकास के साथ ही कृषि क्षेत्र की उन्नति में काफी सहयोग मिल रहा है। यदि कोयले के अभाव में प्रदेश के बिजलीघर प्रभावित हुए तो उसका सीधा असर उन लगभग 5 लाख तकनीशियनों, कामगारों और उनके परिवारों पर पड़ेगा जो विभिन्न उद्योगों के माध्यम से अपनी आजीविका प्राप्त कर रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि यदि प्रदेश का राजस्व बढ़ाना है, भरपूर बिजली उत्पादन करना है तब यह जरूरी होगा कि प्रदेश के कोयला आधारित उद्योगों को प्राथमिकता के साथ बिजली मिले।