कर्ज में डूबी जेपी इन्फ्रा की नीलामी के लिए निविदा प्रक्रिया का यह तीसरा दौर उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर संचालित हो रहा है। सूत्रों के अनुसार कर्जदाताओं में आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक दोनों बोलीदाताओं की ओर से प्रस्तुत ऋण समाधान योजनाओं पर एक साथ मतदान कराए जाने के विरुद्ध थे। उनका कहना था कि पहले सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के प्रस्ताव पर वोट कराया जाना चाहिए। लेकिन इनमें से किसकी बोली को उच्चतम माना जाए इस बात पर कर्जदाताओं में सहमति नहीं थी।
सीओसी में कुल 13 बैंकों और 23,000 घर खरीदारों को वोट देने का अधिकार है। इनमें से घर खरीदारों का संयुक्त मताधिकार 66 प्रतिशत है। खरीदारों की ओर से कंपनी पर 13,000 करोड़ रुपये और बैंकों के 9,800 करोड़ रुपये के दावे सुनवाई के लिए दाखिल किए गए हैं।
जेपी इन्फ्राटेक से कर्ज की वसूली न हो पाने के कारण आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व में उसे कर्ज देने वाले बैंकों के समूह ने दिवाला कानून के तहत इसके समाधान का मामला दायर किया। एनसीएलटी ने इसे स्वीकार कर लिया और कंपनी के खिलाफ ऋण समाधान की कार्रवाई अगस्त 2017 में चालू हुई।
फैसला
* 13 बैंकों और 23,000 खरीदारों को वोट देने का अधिकार।
* जेपी इन्फ्रा की नीलामी के लिए निविदा प्रक्रिया का यह तीसरा है।