नई दिल्ली (IP News). सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी कंपनियों एवं बैंको के निजीकरण की तैयारी के बीच कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बड़ी बात कही है। बुधवार को लोकसभा में सांसद कुमारी राम्या हरदिास ने कोयला क्षेत्र के निजीकरण और निजीकरण के बाद कर्मचारियों की नौकरियों को लेकर सवाल उठाया था। इस पर केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि कोयला मंत्रालय में कोल इंडिया लिमिटेड के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है।

यहां बताना होगा कि केन्द्र सरकार पब्लिक सेक्टर सहित अन्य सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के विनिवेश की तैयारी में है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्पष्ट तौर पर कहा था कि बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है। कुछेक कंपनियों को छोड़कर सभी का विनिवेश/ निजीकरण होगा।

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केन्द्र सरकार द्वारा कोल ब्लाॅक को कमर्शियल माइनिंग के लिए खोलने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्णय के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि कोयला क्षेत्र का निजीकरण होगा। इस आशंका को देखते हुए श्रमिक संगठनों द्वारा विरोध भी किया जा रहा हैै।

इधर, कोयला मंत्रालय का कोल इंडिया लिमिटेड के जरिए 2024 तक एक बिलियन टन कोयला उत्पादन का है। इसी के तहत जनवरी तक 32 कोयला खनन की 32 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन खनन परियोजनाओं में लगभग 47,300 करोड़ रुपए का निवेश कर सकती है। 32 प्रोजेक्ट में से 24 में मौजूदा खानों का विस्तार होना है, बाकी आठ नई खानें होंगी। इससे कंपनी की कोयला उत्पादन क्षमता में 19.3 करोड़ टन सालाना की बढ़ोतरी हो सकती है।

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