बैंक यूनियनों ने कुछ राज्य के स्वामित्व वाले बैंक के निजीकरण के सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ लंबे समय तक हड़ताल करने की धमकी दी है। रविवार को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) की जनरल काउंसिल की बैठक में सदस्यों को प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन तेज करने के लिए कहा गया।

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनियन ने एक बयान में कहा, “जनरल काउंसिल की बैठक ने पूरे देश में हमारे सभी यूनियनों और सदस्यों से आह्वान किया है कि वे बैंक के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष जारी रखें, लंबे समय तक हड़ताल के लिए तैयार रहें और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग और निजीकरण के प्रयासों को विफल करने के लिए हमारे अभियान को तेज करें।”

निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ 15 मार्च और 16 मार्च को लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी अंतिम दो दिवसीय हड़ताल में शामिल हुए थे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में घोषणा की कि सरकार IDBI बैंक के अलावा दो राज्य संचालित बैंकों का निजीकरण करेगी। हालांकि, वे कौनसे बैंक होंगे इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

संघ के बयान में रविवार को कहा गया, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शिक्षित युवाओं के लिए स्थायी रोजगार पैदा करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि नए निजी बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों की दुर्दशा है, जहां नौकरी की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है, सही वेतन नहीं मिलता और ट्रेड यूनियन के अधिकार का अस्तित्व भी खत्म है। इस तरह, बैंकों का निजीकरण युवा कर्मचारियों को इन विपरीत परिस्थितियों में गुलाम बना देगा।”

बता दें कि पिछले महीने हड़ताल के पहले दिन करीब 16,500 करोड़ के चेक और भुगतान निकासी प्रभावित हुई थी।

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