केंद्र सरकार ने 15 अप्रैल से पे फिक्सेशन की समय सीमा तीन महीने के लिए बढ़ा दी है। केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारी संगठनों से निवेदन मिलने के बाद सरकार ने यह फैसला किया है। 1 जुलाई, 2021 से महंगाई भत्ते (DA) के बहाल होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारी अपनी सैलरी में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं।
क्या होता है सैलरी फिक्सेशन
सैलरी फिक्सेशन का मतलब बढ़ोतरी, MACP या इंक्रीमेंट या नए पे कमीशन के अनुसार एडजस्टमेंट के कारण सैलरी में होने वाला बदलाव है। फिक्सेशन का तरीका लेबर डिपार्टमेंट की ओर से हाल में संशोधित किए गए पे रूल्स के अनुसार लागू होगा। सैलरी फिक्सेशन की समयसीमा में बढ़ोतरी का सीधा असर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सातवें पे कमीशन के अनुसार सैलरी पर होगा।
सरकारी कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, प्रमोशन या फाइनेंशियल अपग्रेडेशन की तिथि के आधार पर 1 जनवरी या 1 जुलाई को सैलरी में वार्षिक बढ़ोतरी मिलती है।
सातवें पे कमीशन के रूल्स के अनुसार केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी को तीन हिस्सों में बांटा गया हैः बेसिक सैलरी, बेनेफिट्स और डिडक्टिबल।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों की कुल CTC को उनकी बेसिक सैलरी सातवें पे कमीशन के फिटमेंट फैक्टर के साथ सभी भत्तों को गुणा कर कैलकुलेट किया जाता है। कुल सैलरी को कैलकुलेट करने के लिए कुल CTC में से प्रॉविडेंट फंड में योगदान, ग्रेच्युटी जैसे डिडक्टिबल घटाए जाते हैं।
बहुत सी राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार के सैलरी से जुड़े नियमों के अनुसार अपने कर्मचारियों को सैलरी देती हैं। हालांकि, राज्यों में भत्तों की दरें अलग हो सकती हैं।