अरविंद सुब्रमण्यन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में यह सब बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ब्याज दर और वृद्धि के प्रतिकूल चक्र में भी फंसी है।

अरविंद सुब्रमण्यन ने मोदी सरकार में पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार थे लेकिन उन्होंने बीते साल अगस्त में यह पद छोड़ दिया था। उन्होंने लिखा कि निश्चित रूप से यह साधारण सुस्ती नहीं है। अपने नए शोध पत्र को सुब्रमणियन ने दो भागों टीबीएस और टीबीएस-दो में बांटा है। टीबीएस-1 इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए बैंक कर्ज के बारे में है। यह कर्ज निवेश में जोरदार तेजी के दौरान 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए (NPA) बन गया।

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