नई दिल्ली। आरएसएस के श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा ने केन्द्र सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला है। श्री सिन्हा ने मोदी सरकार को मजदूरों की आवाज दबाने वाली सरकार करार दिया है।
एबीपी लाइव से चर्चा करते हुए बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि आयुध कारखानों में निगमीकरण के विरोध में प्रस्तावित हड़ताल को रोकने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जो अध्यादेश लाया गया है वो पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। मजदूरों द्वारा जायज मांग को लेकर हड़ताल किए जाने के अधिकार पर यह अध्यादेश कुठाराघात है।
मजदूरों की आवाज को जबरदस्ती दबाया जाएगा तो परिणाम देशहित में नहीं होगा। बीएमएस नेता ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि आतंकवादी और असामाजिकतत्वों का उदय तब होता है जब उन्हें रोने भी नहीं दिया जाता और जीने भी नहीं दिया जाता। ऐसी स्थिति में आक्रोश पनपता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री अध्यादेश को वापस लें। आयुध कारखानों के निगमीकरण के निर्णय से पहले सभी स्टेकहोल्डर्स को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा कर निजीकरण का रास्ता खोला जा रहा है। हम देश की सुरक्षा के साथ खड़े हैं। विदेशी कंपनियां आएंगी तो उनके भीतर देश की सुरक्षा को लेकर संवेदना नहीं होगी।
बिनय कुमार सिन्हा ने कहा कि हम वैचारिक तौर पर आरएसएस के घटक हैं, लेकिन बीएमएस मजदूरों के प्रति जिम्मेदार है।
यहां बताना होगा कि देश के सरकारी आयुध कारखानों के निगमीकरण को लेकर पांच श्रमिक संगठनों द्वारा ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले जोरदार मुखालफत की जा रही है। इसे लेकर रक्षा उत्पादन से जुड़े मजदूर और कर्मचारी संघों ने हड़ताल का ऐलान कर रखा है। इधर, केन्द्र सरकार हड़ताल को रोकने के लिए अध्यादेश के जरिए एक कानून ही बना दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद अध्यादेश लागू हो गया है।
ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने इसे विरोध में 8 जुलाई को आल इंडिया ब्लैक डे मनाने का निर्णय लिया है।
मोदी सरकार ने सभी 41 कारखानों को 7 निगमों में बांटने का फैसला लिया है। सरकार का दावा है कि इस फैसले से इन कारखानों को आधुनिक बनाने में मदद मिलेगी ताकि विश्व स्तर का आधुनिक हथियार तैयार हो सके। जबकि रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे मजदूर संगठनों का दावा है कि मोदी सरकार इस कदम के बहाने इन कारखानों का निजीकरण कर रही है। इन संगठनों ने 26 जुलाई से सभी कारखानों में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। इन कारखानों में करीब 80000 कामगार हैं।
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