नई दिल्ली (IP News). मंगलवार को नई दिल्ली में कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी की अध्यक्षता में स्टैंडिंग कमेटी ऑन सेफ्टी इन कोल माइन की 46वीं बैठक आयोजित हुई। बैठक में कोयला खदानों में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई। यूनियन प्रतिनिधियों ने एजेंडे के अलावा दूसरे विषयों को भी मीटिंग में रखा और चर्चा की। भारतीय मजदूर संघ के कोल प्रभारी के लक्ष्मा रेड्डी ने बैठक के दौरान कई विषय उठाए। बीएमएस के संजय सिंह भी बैठक उपस्थित थे। बीएमएस द्वारा उठाए गए विषय :
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- जलवायु परिवर्तन के नाम पर कुछ पश्चिमी औद्योगिक और विकसित राष्ट्रों ने पिछले 200 वर्षों के दौरान पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। भारत सहित विकासशील देशों पर कोयला आधारित बिजली उत्पादक कंपनियों को बंद करने का दबाव बनाया जा रहा है। भारत सरकार को दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए, क्योंकि भारत की स्थिति अलग है।
- बीएमएस नेता ने कोल इंडिया के अधिकारियों द्वारा दिए गए उस बयान की आलोचना की कि हर साल पांच प्रतिशत जनशक्ति कम की जाएगी।
- सीआईएल, एनएलसीआईएल और एससीसीएल द्वारा कोविड की दूसरी लहर के दौरान अव्यवस्था का मुद्दा उठाया गया। श्रमिकों के लिए निजी तौर पर टीके खरीदने की व्यवस्था नहीं करने और बीएमएस द्वारा कर्मचारियों के लिए आयुष 64/ कबसुरा कुदिनेर दवाएं उपलब्ध कराने के सुझाव पर भी विचार नहीं किया गया।
- कुछ राज्यों में कोयला कंपनी के अस्पतालों को सामान्य कोविड केंद्र घोषित किया गया। परिणामस्वरूप कोयला श्रमिकों को आपात स्थिति में बिस्तर नहीं मिल सका।
- बीएमएस नेता ने कहा कि सभी कोविड प्रभावित स्थायी और ठेका कर्मियों को 15 दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जाए।
- एससीसीएल में ठेका श्रमिकों की कोविड मृत्यु के मामले में 15 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया गया। कोयला मंत्री ने एससीसीएल प्रबंधन को इस मामले को देखने कहा।
- लक्ष्मा रेड्डी ने जेबीसीसीआई की बैठक नहीं बुलाने के लिए सीआईएल प्रबंधन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि जेबीसीसीआई की कार्यवाही पर रोक लगाने के इंटक के प्रयास को विफल करने के लिए उच्च न्यायालयों में कैविएट दायर करने के सुझाव की ओर सीआईएल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया।
- कंपनी में नियमित निदेशक (कार्मिक) नहीं की पदस्थापना नहीं है। सीआईएल और एससीसीएल की कई सहायक कंपनियों में कई निदेशक पद लंबे समय से नहीं भरे गए हैं, जिससे कंपनियों का सुचारू कामकाज प्रभावित हो रहा है और श्रमिकों की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
- बीएमएस ने बैठक में बताया कि सिंगरेनी कंपनी द्वारा 28 जून, 2021 को आयोजित त्रिपक्षीय सुरक्षा समिति की बैठक में केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों/जेबीसीसीआई सदस्य संघों की अनदेखी करते हुए केवल एक यूनियन को आमंत्रित किया गया था, जिसकी मान्यता अवधि 2 साल पहले समाप्त हो गई थी।
- सीएमपीएफ के तहत 15,000 से अधिक श्रमिकों को 1,000 रुपए से कम पेंशन मिल रही है, सरकार को उचित न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करनी चाहिए।
- संजय सिंह ने सुरक्षा उपायों के संबंध में कई सुझाव रखते हुए कहा कि श्रमिकों को घटिया किस्म के गमबूट (जूते) दिए जा रहे हैं, जो 2-3 महीने में खराब हो जाते हैं।
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