नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि वह विनिवेश, निजीकरण और अनुबंध पर रोजगार जैसी सरकार की नीतियों के खिलाफ तीन जनवरी को राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेगा। बीएमएस ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि हम सरकार को सजग करने के लिए तीन जनवरी, 2020 को सभी जिला मुख्यालयों में विरोध-प्रदर्शन करेंगे। यहां बताना होगा कि देष के 10 श्रमिक संगठनों द्वारा भी 8 जनवरी को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया गया है। इस हड़ताल में बीएमएस शामिल नहीं है। बीएमएस ने इस हड़ताल का राजनीति से प्रेतिर करार दिया है।
इधर, संगठन ने बयान में कहा कि दिल्ली में जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया जाएगा। बीएमएस ने कहा कि देश में औपचारिक क्षेत्र में ज्यादातर रोजगार या तो अनुबंध पर कर दिये गये हैं या एक तय अवधि के लिए ही रोजगार दिया जा रहा है। इससे रोजगार की सुरक्षा समाप्त हो गयी है और कामगारों पर कभी भी रोजगार जाने का जोखिम बना रहता है।
संगठन ने आंगनवाड़ी, आशा, पीडीएस, मिड डे मील, एनएचएम आदि योजनाओं के तहत काम कर रहे लोगों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की भी मांग की है। संगठन ने विनिवेश, रणनीतिक बिक्री, निगमीकरण और सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर रोक लगाने की भी मांग की है। संगठन का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इस देश के औद्योगिक ढांचे की रीढ़ है. सरकार को इनका विनिवेश अथवा निजीकरण बंद करना चाहिए। बीएमएस ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बारे में कहा कि इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। उसका कहना है कि रक्षा क्षेत्र का उत्पादन भी कंपनियों के हवाले करना ठीक नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। बीएमएस ने रेलवे सेवाओं के निजीकरण को भी तुरंत रोकने की मांग की है. उसका कहना है कि भारतीय रेल आवश्यक सेवा है और भारतीय शहरों की जीवन रेखा है, इसका निजीकरण नहीं होना चाहिए।

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