भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश में वित्तीय समावेश के आंकलन के लिए एक सम्पूर्ण वित्तीय समावेश सूचकांक-एफ आई इंडैक्स की शुरूआत की है।
इसकी घोषणा 17 अप्रैल को वर्ष 2021-22 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में की गई थी।
मार्च 2021 को समाप्त अवधि के लिए वार्षिक एफ आई इंडैक्स 53 दशमलव नौ दर्ज हुआ है। मार्च 2017 को समाप्त अवधि के लिए ये आंकड़ा 43 दशमलव चार था।
आर बी आई ने एक वक्तव्य में कहा कि वित्तीय समावेशी सूचकांक जुलाई में हर वर्ष एक बार प्रकाशित किया जाएगा।
एफ आई इंडैक्स की परिकल्पना एक बहुपक्षीय सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और विभिन्न क्षेत्रीय नियामकों के साथ मिलकर बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक तथा पेंशन क्षेत्र से जुड़े ब्यौरे को शामिल किया जाएगा।
इस सूचकांक में वित्तीय समावेश के पहलुओं पर जानकारी को शून्य से लेकर एक सौ तक एक एकाकी मापदण्ड के माध्यम से दर्शाया जाएगा, जहां शून्य की रीडिंग सम्पूर्ण वित्तीय बहिष्करण के लिए होगी और सौ की रीडिंग सम्पूर्ण वित्तीय समावेश के लिए होगी।
एफ आई इंडैक्स के तीन प्रमुख पहलु हैं। 35 प्रतिशत महत्व वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को दिया गया है। सेवाओं के उपयोग को 45 प्रतिशत महत्व दिया है और गुणवत्ता को 20 प्रतिशत।
इन तीन प्रमुख पहलुओं को कुल 97 विभिन्न सूचकों के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा।
ये सूचकांक वित्तीय सेवाओं तक पहुंच की सरलता, सेवाओं की उपलब्धता और उपयोग तथा सेवाओं की गुणवत्ता पर भी आधारित होगा।
गुणवत्ता का पैमाना इस सूचकांक का एक विशिष्ट पहलु है जिसमें वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता सुरक्षा और सेवाओं में असमानताओं और कमियों के आधार पर वित्तीय समावेश की गुणवत्ता को दर्शाया जाएगा।
ये सूचकांक बिना किसी आधार वर्ष के गठित किया गया है और वित्तीय समावेश की ओर कई वर्षों से सभी पक्षधरों द्वारा किए गए संयुक्त प्रयासों को दर्शाता है।
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