सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को लॉन्च कर दिया है। इस पाइपलाइन प्लान के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी ऐसी इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट्स की एक लिस्ट बनाई जाएगी, जिसे सरकार को अगले 4 साल में बेचना है। सरकार का लक्ष्य इसके जरिए 6 लाख करोड़ रुपए जुटाना है।
यह वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार की प्रस्तावित 43 लाख करोड़ रुपए की राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा कार्य योजना का 14 प्रतिशत होगा। एनएमपी में 12 से अधिक मंत्रालय और 20 से अधिक परिसम्पदा श्रेणी शामिल हैं। इनमें सडक, बंदरगाह, हवाई अड्डे, रेल, गोदाम, गैस और पाइपलाइन, बिजली उत्पादन और पारेषण, खनन दूरसंचार, स्टेडियम, आवास तथा आथित्य सत्कार क्षेत्र हैं।
इसके अलावा यह निवेशकों के लिए भी उपलब्ध होगा। एनएमपी सरकार की सम्पदा मुद्रीकरण के लिए मध्यम अवधि की योजना के तौर पर काम करेगा।
श्रीमती सीतारामन ने कहा कि एनएमपी सरकार की उन परिसम्पदाओं के बारे में है जहां पहले ही निवेश किया जा चुका है और जहां उनका पूरी तरीके से उपयोग नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसे बुनियादी ढांचे से सम्बंधित परिसम्पदा का मुद्रीकरण आवश्यक है।
वित्तमंत्री ने कहा कि निजी भागीदारी से सरकार परिसम्पदा का बेहतरी के लिए मुद्रीकरण करेगी और इससे जो संसाधन प्राप्त होंगे, सरकार उसे बुनियादी ढांचे से सम्बंधित अन्य परियोजनाओं में लगाएगी।
उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर सृजित करने, तेज आर्थिक विकास और ग्रामीण तथा अर्थ-शहरी क्षेत्रों में कल्याणकारी योजना के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ये परिसम्पत्तियां सरकार के ही नियंत्रण में रहेंगी और इन्हें वापस लिया जा सकेगा।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार ने कहा कि सम्पदा मुद्रीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र में किए गए निवेश का पूरा लाभ प्राप्त करेगी। निजी क्षेत्र और योग्यता इसमें सहायक होगी।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि अगले चार वर्ष के दौरान रेल, सडक और ऊर्जा क्षेत्र में छह लाख करोड रुपए की परिसम्पदा का मुद्रीकरण किया जाएगा।
एनएमपी पहले चल रही बुनियादी क्षेत्र की परिसम्पदाओं जैसे- सडक, रेल नागरिक उड्डयन, ऊर्जा, तेल और गैस तथा गोदाम के मुद्रीकरण की योजना के तौर पर काम करेगा। सरकार की योजना छह हजार अरब रुपए की परिसम्पदा का मुद्रीकरण करने की है।
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