नई दिल्ली, 25 अप्रेल। सीआईएल के कोयला कामगारों को 11वें वेतन समझौते का इंतजार है। इसके लिए गठित जेबीसीसीआई की चार बैठकें हो चुकी है, लेकिन मिनिमम गारंटेड बेनिफिट (MGB) को लेकर कोई ठोस चर्चा नहीं हो सकी है।
इधर, भारतीय मजदूर संघ के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि कोयला मजदूर जान जोखिम में डालकर कर देश की उन्नति में अपना योगदान दे रहे हैं। लिहाजा वेतन समझौता भी इन मजदूरों के हित का होना चाहिए।
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सोमवार को के. लक्ष्मा रेड्डी ने industrialpunch.com से चर्चा की। जेबीसीसीआई की चौथी बैठक में सीआईएल प्रबंधन द्वारा महज तीन फीसदी एमजीबी का प्रस्ताव रखे जाने पर श्री रेड्डी ने कहा कि उनकी रणनीति जो भी, लेकिन हमारी रणनीति यह कि हम कोयला कामगारों को किस तरह अधिकतम लाभ दिलाएं।
बीएमएस नेता ने कहा कि हम एक बेहतर वेतन समझौते को अंजाम देंगें, इसकी पूरी उम्मीद है। श्री रेड्डी ने कहा कि जून में जेबीसीसीआई की पांचवीं बैठक में एमजीबी पर आगे बात बढ़ेगी।
बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि कोयला मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीएमपीडीआईएल का एमईसीएल में विलय नहीं हो रहा है। सीएमपीडीआई कोल इंडिया की कंपनी बनी रहेगी।
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एमईसीएल को सीएमपीडीआईएल में मर्ज किया जाएगा। इस मर्जर से सीएमपीडीआईएल और मजबूत एवं बड़ी कंपनी बनेगी। इसका लाभ कोल इंडिया और कामगारों दोनों को मिलेगा।
श्री रेड्डी ने कहा कि बीएमएस ने सीएमपीडीआईएल को एमईसीएल में विलय नहीं किए जाने को लेकर दबाव बनाया था।
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