मुंबई, 30 जून (IP News Desk)। महाराष्ट्र के सियासी ड्रामे पर 10वें दिन जाकर विराम लगा है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बनेंगे। शाम 7.30 बजे वे इस पद की शपथ लेंगे। देवेंद्र फडणवीस ने प्रेस वार्ता में जैसे ही मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे का नाम लिया, तो राजनीतिक पंडितों के तमाम आंकलन धरे के धरे रह गए।
अब सवाल उठता है कि भारतीय जनता पार्टी ने ऐसा क्यों किया? देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री का पद क्यों छोड़ा? माना जा रहा है कि भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री का पद देकर बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है। एक लंबी रणनीति के तहत ऐसा किया गया है। यह सब दिल्ली से हुआ है न की भाजपा के महाराष्ट्र संगठन के स्तर पर।
कहा जा रहा है कि अब भाजपा शिवसेना के मैदान पर फिल्डिंग करना चाहती है। पार्टी की मंशा महाराष्ट्र में पार्टी को विस्तार देने की है। ताकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राज्य से अधिक से अधिक सीटें लाई जा सके और ढाई साल बाद वो अपने दम पर राज्य में सरकार बना सके।
महाराष्ट्र में भाजपा हमेशा से मातोश्री के सामने नतमस्तक होते रही है। एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का मकसद ठाकरे परिवार को मुख्य राजनीति से किनारे लगाना भी है।
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एकनाथ शिंदे के समर्थन देकर भाजपा ने एक संदेश देने की भी कोशिश की है कि वो सत्ता हथियाना नहीं चाहती है। एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद इस तरह का वातावरण निर्मित हो रहा था कि शिवसेना में दो फाड़ की पटकथा भाजपा ने लिखी है।
इधर, एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री जरूर बना दिए गए हैं, लेकिन सत्ता का रिमोट कंट्रोल भाजपा और देवेंद्र फडणवीस के हाथों में रहेगा, इसमें दो मत नहीं है। एकनाथ को भाजपा की बैशाखी पर टिके रहना होगा।
दूसरी ओर शिंदे भी सत्ता की पॉवर का उपयोग शिवसेना की पूरी कमान को अपने हाथों में लेने के लिए करेंगे। पार्टी के 39 विधायक उनके खेमे में आए गए हैं, लेकिन संगठन की ताकत उद्धव ठाकरे के पास है।
बहरहाल देखना होगा महाराष्ट्र की राजनीति में आगे क्या होता है।
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