नई दिल्ली, 23 अगस्त। उच्चतम न्यायालय ने बेनामी लेन-देन निवारण अधिनियम 1988 के प्रावधान को रद्द कर दिया है, जिसमें बेनामी लेन-देन में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति को अधिकतम तीन वर्ष के कारावास और जुर्माने अथवा दोनों दण्ड देने का प्रावधान था।
शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को स्पष्ट रूप से मनमाना होने के आधार पर असंवैधानिक करार दिया। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमणा और न्यायामूर्ति सी. टी. रविकुमार तथा हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि अदालत ने बेनामी लेन-देन रोकथाम अधिनियम 1988 की धारा – 3(2) को असंवैधानिक ठहराया है।
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